Rekha Mohan

Others

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विषय सपना [भरा पूरा ससुराल]

विषय सपना [भरा पूरा ससुराल]

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सपना का जैसा सपना था वैसा ही भरा पूरा ससुराल किस्मत से मिल गया। सपना हंसमुख और फुर्तीली सी काम में लगी रहती थी। उसके माता-पिता को उसका भोलापन ही चिंता का विषय लगता था बोलते, “यूँ तो उसको सभी रिश्ते प्रेम से निभाने को मिले, पर हर समय काम में लगाये रखते हैं। सास ससुर खुले आंगन में बैठ नेह से निहारते और पुकारते रहते से कोई काम या सलाह देते रहते हैं। ” सपना बताती, “ मेरे दिन खुशी ले मस्ती और रिश्तों को निभाते गुज़र जाते है। कोई आया चाय बनाओ कोई गया छोड़ने बाहर जाओ। ” सपना बहुत बुलाने पर मैके भी कुछ घंटो के लिये ही जा पाती। मैके वालो ने भाई के विवाह में सपना को कहा, “सभी ससुराल के परिवारजनों को साथ में ले आना और हम उनकी मिलनी भी करवायेंगे। ” इससे सपना का मान-सम्मान ससुराल में और भी बढ़ जायेगा।

सपना की परेशानी का सबब उसकी जेठानी और सास थी। हर समय उसकी परीक्षा लेती रहतीं, किसी न किसी काम में उलझा उसको छोटा साबित करना चाहती। कुछ गुम हो जाता तो बोलती, “सपना को पता होगा, यही सामान इधर–उधर रख भूल जाती है। भोली है इसे याद नहीं रहता, दुनियादारी की समझ अभी जरा कम हैं। ” अचानक सपना को अध्यापन क्षेत्र में नौकरी मिल गई। दोनों पति-पत्नी नौकरी के साथ साथ घर कि जिम्मेवारियाँ बखूबी निभाने की कोशिश करते, पर फिर भी घर में समय के साथ साथ तनाव बढ़ रहा था। सब में अपना घर बनाने और जमीन में हिस्से की होड़ लगी थी। सपना के पति की बदली हो गई और अब वो दूसरे शहर में रहने चले गये। सपना का मन अकेले परिवार में ना लगता, उसे तो आदत हो गई थी सब रिश्तों में जीने की। सपना की सास को जब पता चला कि बहू पेट से है तो सपना की सास को पास जाना पड़ा। सपना रिश्तों के वारिस के आगमन के नए स्वप्न बुनने में हो गई। " मेरे ख्वाबों की ताबीर भी तो तुम्हारी इन तदबीरों में ही कहीं छिपी हुई है न। 


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