विनाश काले विपरीत बुद्धि
विनाश काले विपरीत बुद्धि
एक बड़े से बंगले में तीनों भाई इक्कठे रहते थे परिवार का मोभी भंवरलाल था वो नाम के अनुरूप ही था..
भंवरलाल अपने छोटे भाइयों पर जो हुकमी करते थे.. भंवरलाल का बिजनेस था वो भाईयों को कामकाज में व्यस्त रखकर खुद रंगरलियां मनाते थे..भंवरलाल के तीन बच्चे थे उनकी शादी कराई और उन्हें अलग-अलग जगहों पे घर लेकर भेज दिया.. ताकि उनके मनमानी से जीने में कोई दिक्कत न आए..
अचानक कोरोनावायरस के आने से छोटे भाई की बीवी और सारे घर को कोरोना हो गया..छोटे भाई की बीवी सुनीता की तबीयत बिगड़ गई अस्पताल में भर्ती कराया पर वो बच नहीं सकी..
और इतना होने के बाद भी भंवरलाल ने कुटुंब को पंद्रह दिन इकठ्ठा किया इसी वजह से घर में और तीन व्यक्तियों की मौत हो गई ये सब देखकर आसपास रहने वाले लोग बातें करने लगे ये भंवरलाल को विनाश काल विपरीत बुद्धि हो गई है अब उसके पाप ही उसको उल्टे-पुल्टे काम करवा रहे हैं..
