Sheikh Shahzad Usmani शेख़ शहज़ाद उस्मानी

Children Stories

4  

Sheikh Shahzad Usmani शेख़ शहज़ाद उस्मानी

Children Stories

'वेल डन सर!'

'वेल डन सर!'

4 mins
258


मोटू और पतलू अपने-अपने काम सम्पन्न कर चुके थे। विद्यालय के फ़न फेयर की समोसा स्टॉल से मुक्त होने के पश्चात उन्हें स्टॉल इन्चार्ज शिक्षक मिश्रा जी के घर पहुंचा दिया गया था। दरअसल विद्यालय में उनके लिए सुरक्षित स्थान नहीं बचा था भीड़-भाड़ में। मिश्रा जी उनसे अभी और अधिक काम लेना चाहते थे। दरअसल मोटू-पतलू के ये दोनों कट-आउट्स उनकी कक्षा के होनहार चित्रकार छात्रों ने बड़े परिश्रम और लगन से तैयार किये थे।


फ़न फेयर की समोसा स्टॉल काऊंटर की शोभा बढ़ाने के एक साल बाद महामारी काल में लॉकडाउन की लम्बी अवधि दौरान अब वे दोनों मिश्रा जी की ऑनलाइन कक्षाओं के टीच़िंग और डिस्प्ले बोर्ड की शोभा बढ़ा कर छात्रों को आनंदित कर रहे थे। मोटू जी थाली में समोसे लिए हुए एक्शन में नज़र आ रहे थे और पतलू जी अपनी रोचक मुद्रा में। मिश्रा जी जो कुछ भी पढ़ाते, मोटू और पतलू को किसी न किसी रूप में शामिल ज़रूर करते अपने लैक्चर में या प्रश्नोत्तरी में। छात्र बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाते। मोटू को देखकर उन्हें अपने विद्यालय की कैन्टीन के गरमा-गरम स्वादिष्ट समोसे याद आ जाते थे। 


महामारीकालीन कुछ महीनों की लॉकडाउन अवधि के बाद जब अनलॉक शुरू हुआ, तो मोटू पतलू की भी भूमिकाएं बदलने लगीं। ऑनलाइन कक्षाओं से उन्हें मिश्रा जी के ड्राइंग रूम में स्थानांतरित कर दिया गया। अब अनलॉक-4 में उनके घर आने वाले बच्चे मोटू-पतलू के कट-आउट्स को अपनी मित्र-मण्डली में शामिल करने लगे।  किशन को मोटू दिया जाता और हामिद को पतलू। बाक़ी बच्चे उनके मज़े लेते।


"किशन मोटा-तगड़ा है! इसकी बॉडी पर मोटू का कट-आउट जमता है और हामिद लम्बा और दुबला है, तो उस पर पतलू वाला जँचता है!" एक दिन खेलते समय सोनाली ने साथियों से कहा।


"अनलॉक में भी स्कूल तो नहीं खुल रहे हैं। अच्छा हुआ मिश्रा सर अपने घर पर मोटू-पतलू को ले आये। अब हम हर रोज़ एक-दो घण्टे मोटू-पतलू कॉमिक्स खेला करेंगे युट्यूब पर उनकी मूवी देख-देख कर!" गुड्डू ने सबसे कहा।


मिश्रा सर का पूरा परिवार इस खेल में शामिल होने लगा। टेलीविज़न और मोबाइल गेम्ज़ को तो सब भूल ही गये थे। घर के अंदर ही मोटू-पतलू को शरीर से बाँध कर बारी-बारी से बच्चे ख़ूब खेलते। मिश्रा जी की भी बारी आयी मोटू की भूमिका करने की! उस दिन मिश्रा जी की पत्नी ने सबके लिए ढेर सारे समोसे बनाये। मिश्रा जी थाली में समोसे लेकर मस्ती करते हुए सबको समोसे बाँटते-खिलाते रहे। पतलू बना उनका बेटा मूवी में बताये मुताबिक़ पतलू वाली हरक़तें बख़ूबी करता रहा। सबको ख़ूब मज़ा आया।


फ़िर एक दिन स्कूल की प्रिंसिपल मैडम ने ऑनलाइन क्लास ली। सबने अपनी मस्ती की पाठशाला के बारे में प्रिंसिपल मैडम को बताया।


"अच्छा बताओ, मिश्रा सर की इस टीच़िंग टैकनीक से आप लोगों ने क्या सीखा?" प्रिंसिपल मैडम ने बच्चों से पूछा।


"ऑनलाइन कक्षायें बिना बोरियत वाली और फ़नी बनायी जा सकतीं हैं!" हामिद ने कहा।


"टीच़िंग बोर्ड में और बच्चों के स्टडी रूम में या ड्राइंग रूम में कॉमिक्स के कार्टूनों के कट-आउट्स लगाये जा सकते हैं। उन्हें खिलौनों की तरह हम इस्तेमाल कर सकते है!" गुड्डू बोला।


"टीचरों के घर बच्चे जाकर खेल-खेल में भी बहुत कुछ सीख सकते हैं!" किशन ने कहा।


"टीचरों के घर न भी जायें, तो हम अपने परिवार में आपस में ऐसी चीज़ें बना कर मज़े कर सकते हैं!" अबकी बार सोनाली बोल पड़ी।


इस तरह ऑनलाइन कक्षा में कुछ बच्चों के विचार और अनुभव जानने के बाद प्रिंसिपल मैडम ने कहा, "आप सबने बिल्कुल सही बात कही। लेकिन एक बात छूट रही थी। वह मैं कहना चाहती हूँ।"


"कहिए मैडम!" सब बच्चे एक साथ बोले।


"मिश्रा सर के इस अनूठे प्रयोग से हमें यह सीखना चाहिए कि वेस्ट मटेरियल से भी क्रिएटिविटी की जा सकती है। स्कूल के पिछले साल के फ़न फ़ेयर की आर्ट और क्राफ़्ट की अधिकतर चीज़ें रद्दी में फैंक दी गईं या स्टोर रूम में ठूँस दी गईं। लेकिन मिश्रा सर मुझसे अनुमति लेकर मोटू-पतलू के कटे-फटे कट-आउट्स भी अपने घर ले गये और उनकी मरम्मत कर नये रूप में उनका इस साल महामारी काल के लॉकडाउन और अनलॉक पीरियड में देखो कितना बढ़िया इनोवेटिव इस्तेमाल किया, है न!"


सब बच्चों ने ज़ोरदार तालियाँ बजा कर मिश्रा जी की तारीफ़ की। 


"वेल डन मिश्रा सर! गॉड ब्लैस यू चिल्ड्रन!" यह कहते हुए प्रिंसिपल मैडम ने 'ऑनलाइन क्लास ओवर' घोषित की।



Rate this content
Log in