Sheikh Shahzad Usmani शेख़ शहज़ाद उस्मानी

Children Stories

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Sheikh Shahzad Usmani शेख़ शहज़ाद उस्मानी

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वाह बीन, क्या सीन है!

वाह बीन, क्या सीन है!

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 मिस्टर बीन भारत भ्रमण के तहत मध्यप्रदेश के पर्यटन स्थलों का लुत्फ़ लेते-लेते एक पर्यटक नगरी शिवपुरी में डेरा जमाये हुए थे। उन्होंने एक लोकप्रिय पब्लिक स्कूल में पीजीटी पद पर शिक्षक का कार्यभार भी सँभाल लिया था। अपने व्यक्तित्व और कृतित्व से प्रसिद्ध तो थे ही। बच्चों में और स्टाफ़ में तुरंत ही छा गये। जब कोरोना महामारी ने यहाँ भी पैर पसारे, तो लॉकडाउन के तहत स्कूल की ऑनलाइन कक्षाओं में उन्होंने अपने किराये के फ्लैट से ही सेवायें दीं, तो सभी कक्षाओं के बच्चों का दिल उन्होंने जीत लिया। चूंकि सभी विषय शिक्षकों की समुचित ऑनलाइन सेवाएं विद्यालय को नहीं मिल पा रहीं थीं, मिस्टर बीन ने कक्षा दसवीं और बारहवीं के सभी मुख्य विषय ऑनलाइन पढ़ाने हेतु प्रिंसिपल से निवेदन किया अपनी चिरपरिचित सांकेतिक शैली में। कम तो बोलते ही थे। वाणी दोष तो था ही उन में। बच्चों को उनका मूक और सांकेतिक अध्यापन अच्छा लगता था। सभी उनकी ऑनलाइन कक्षाओं के इतने दीवाने हो गये थे कि शहर के सभी शिक्षक उनसे ईर्ष्या करने लगे थे, उन पर हास्य-व्यंग्य भी करने लगे थे।

लेकिन बच्चे बहुत ख़ुश थे। दोहरा-तिहरा आनंद ले रहे थे। बीन सर की ऑनलाइन कक्षाएं अटैण्ड करने के बाद अपने परिवारजन के समक्ष उनके पढ़ाने के सांकेतिक तरीक़ों की नकल और मिमिक्री कर उन्हें ख़ूब हँसाते थे। इसके अलावा वीडियो फ़ोन कॉल पर रिश्तेदारों और दोस्तों को भी उसी प्रकार हँसने को मज़बूर कर देते थे। ऑनलाइन कक्षाओं में मिस्टर बीन का भौंहें उचकाना, होठों को ट्विस्ट कर तरह-तरह के भाव ज़ाहिर करना तो बच्चों को भाता ही था; व्हाइट टीच़िंग बोर्ड पर वेस्ट मटेरियल का उपयोग कर विज्ञान, गणित, सामाजिक अध्ययन ही नहीं, बल्कि हिंदी और अँग्रेज़ी पढ़ाने की उनकी विशिष्ट शैली भी बच्चों को बहुत प्रभावित करती थी। सभी आश्चर्य करते थे कि मुँह से न्यूनतम या अस्पष्ट बोलते हुए भी बीन सर बच्चों को सभी विषय इतने बेहतरीन तरीक़े से कैसे पढ़ा लेते थे कि बच्चे उनकी तारीफ़ करते थकते नहीं थे। फ़ोन पर और सोशल मीडिया पर बच्चों की बातचीत और चैटिंग से सब पता चल रहा था सबको!


कुछ बच्चों ने "बीन क्लब" बना लिए थे, तो कुछ ने सोशल मीडिया पर "बीन ग्रुप"। एक ग्रुप था - "वाह बीन, क्या सीन है!" एडमिन थे अमर, अकबर और अन्थोनी। अन्य सदस्य थे - जॉन, जानी और जनार्दन; राम, बलराम; लखन; चमेली, शहंशाह, अल्लारक्खा; पीके,धरम, वीर; सीता, गीता; शेरनी, नागिन वग़ैरह-वग़ैरह। आज रविवार की सुबह वाट्सएप ग्रुप पर बस यही चर्चा थी :


"अपने फ़्लैट से ही स्टोर रूम से ऑनलाइन क्लास लेते हैं। फ़िर भी मास्क लगाकर पढ़ाते हैं। बार-बार सेनीटाईज़र से अपने हाथ साफ़ करते हैं। पंखा ऑफ़ कर देते हैं। पसीने से तर हो जाते हैं। फ़िर भी इशारों में पढ़ाते रहते हैं!"


"अरे, हर रोज़ अपने बच्चों की कैप बदल-बदल कर अपने सिर पर स्टाइल बदल-बदल कर लगाते हैं। अंग्रेज़ी पढ़ाते-पढ़ाते कोरोना और कोबिड-19 पढ़ाने लगते हैं!"


"मुझे तो बहुत मज़ा आता है! उनका आंखें मटकाना और मुँह टेढ़ा करके उलझन या चिढ़ जताना और फ़िर कोई जुगाड़ सूझने पर कंधे उचकाना... सब बड़ा भला लगता है!"


"अबे, तू यह सब देखने के लिए ऑनलाइन क्लास में आता है क्या! तू ये बता कि अब तक उनका पढ़ाया कितना समझ में आया?"


"तो तू क्या समझता है कि हमें कुछ समझ नहीं आता? उनका प्रेज़ेंटेशन ग़ज़ब का होता है। पीपीटी ग़ज़ब की बनाते हैं और अजब तरीक़े से दिखाते हैं ऑनलाइन!"


"हाँ, हाँ बीन सर के बनाये हर वीडियो में उनके हर सीन से सारे कॉन्सेप्ट क्लीअर हो जाते हैं!"


"मुझे तो सब समझ में आता है। लर्न बाई फ़न एण्ड लर्न विद़ फ़न!"


"हाँ, सही कहा! लर्न विद़ बीन एण्ड लर्न बाई सीन!"


"हा हा हा! वाह क्या बात है! बाक़ी टीचर्स को मात है!"


"आई मीन, वाह बीन!"


एक दिन बच्चों को एक वाट्सएप ग्रुप पर पता चला कि मिस्टर बीन कोरोना पॉज़िटिव हो गये हैं और अपने ही फ़्लैट पर आइसोलेशन में रहेंगे नियमानुसार। फ़िर क्या था। ऑनलाइन क्लासिज डिस्टर्ब हो गईं। मिस्टर बीन कोरोना के लक्षणों से बहुत परेशान चल रहे थे। ऐसी जानकारी बच्चों को मिली। अब वाट्सएप समूह "वाह बीन, क्या सीन है!" के एडमिनगण ने ऑनलाइन कक्षाओं का मोर्चा सँभाला। स्कूल के प्रिंसिपल की सहमति से बारी-बारी से एडमिन अमर, अकबर और अन्थोनी ने मिस्टर बीन की भूमिका निभाते हुए उनकी मिमिक्री करते हुए ऑनलाइन कक्षाओं में मिस्टर बीन को ख़ूब हँसाया और समूह के सदस्य बच्चों को भी। ग़ज़ब की इम्यूनिटी क्षमता थी मिस्टर बीन की। कोरोना गाइडलाइंस का पालन करते हुए निर्धारित दवाओं, योग, ध्यान और संगीत के साथ बच्चों की ऑनलाइन क्लासिज अटैण्ड करते हुए मिस्टर बीन कुछ ही दिनों में कोरोना टेस्ट में निगेटिव घोषित हो गये। कुछ दिन आराम करने के बाद जब वे ऑनलाइन कक्षा में पढ़ाने आये, तो बच्चों ने तालियाँ बजा-बजा कर उनका स्वागत करते हुए उनके ही अंदाज़ में हाव-भाव ज़ाहिर कर कहा :

"वाह बीन, क्या सीन है!"



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