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N.ksahu0007 @writer

Children Stories Inspirational

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N.ksahu0007 @writer

Children Stories Inspirational

तेईस नंबर

तेईस नंबर

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बात स्कूल टाइम की आप सभी को तो अच्छे से पता होगा स्कूल में क्लास सेक्सन में बटा होता हैं स्टूडेंट ज्यादा होने के कारण ही सब को सेक्सन में

बाँट दिया जाता था... सेक्सन भी बड़ी अजीब तरीके से बांटा जाता था ?


वो दिन भी क्या दिन थे सच यारो 

हर एक पल मानो हसीन थे यारो

बचपन की शरारतें यादो में समाई

जब भी याद आये पल रंगीन थे यारो


अक्कू के पिता का ट्रांसफर हो गया था तो वो सीधे गाँव से शहर में आ गए अब स्कूल खुलने वाला था तो अक्कू के पिता जी ने एक प्राइवेट स्कूल में अपने बेटे का दाख़िल करा दिया।अक्कू 6 क्लास में पढ़ता है । उसके लिए ये सब नया था । हा वो थोड़ा घबराया जरूर था क्यू की ये तो हर बच्चे का जैसे किसी गणित का नियम हो उस प्रकार ही है। सब घबराते हैं फिर बाद में कुछ इस तरह घुल जाते है जैसे दूध में पानी.....

एडमिशन हो गया अक्कू का और एक टेस्ट के साथ सब को सेक्सन बटना था,टेस्ट तो हो गए अब रिजल्ट और सेक्सन डिवाइस की बारी थी। अक्कू ने सब छात्रा/छात्राओ में टॉप किया था, 25 मार्क वाले टेस्ट में अक्कू ने 23 लेकर आया था वो टेस्ट कुछ नहीं बस सामान्य ज्ञान का था।तो फिर क्या सेक्सन डिवाइस हुआ।

A B C D (अ) (ब) (स) (द) उसे A (अ)

सेक्सन मिला होशियार लोगो को A सेक्सन और उससे कम को B इसी तरह C और D भी ।लेकिन सब कमजोर को एक सेक्सन में नही रख सकते इसी के चलते सब को अलग अलग सेक्सन में बाट दिया फिर अक्कू को C (स) सेक्सन का क्लास मिला. उस सेक्सन के बच्चे पुछो मत बहुत ही शैतान थे। जो केवल मस्ती करने ही स्कूल आते थे। अब सब क्लास में गए सब के चेहरे नए थे अक्कू के लिए और रोल नंबर मिला.आप को विश्वास नहीं होगाअक्कू का रोल नम्बर भी 23 था ।

एडमिशन भी 23 तारीख़ को हुआ क्लास टेस्ट में भी 23 नंबर आए। फिर क्या अक्कू का नाम अक्कू से 23 पड़ गया सब उसे 23 कह के ही बुलाते थे समय बीत रहा था तिमाही परीक्षा पास थी जो 100 नंबर का होता था इसकी तैयारी में सब लग गए जोरदार पढ़ाई होने लगी क्लास में और पेपर का टाइम भी आ गया । पेपर भी हो गए अब रिजल्ट आने वाला दिन था उस दिन सब ने कलर फूल ड्रेस पहन आये थे क्यू की दिन गुरुवार उस दिन स्कूल यूनिफार्म की छुट्टी होती थी तो सब टीचर के आने का वेट करने लगे टीचर आये सब को उनका रिजल्ट और ans...सीट दिया अक्कू का नंबर इस बार भी 23 आया था वो भी गणित और अंग्रेजी में..मतलब वो फेल हो गया था ।

स्केल से सुताई हुई उसकी .. अब उसका दिमाग़ खराब हो गया वो 23 बुलाने पर अब चीड़ जाता था पहले उसे अच्छा लगता था अब वही 23 उसके लिए जहर बन गया था । सब छात्र / छात्रा और टीचर उसे टोंट मार देते थे। सुनाने लगे वो क्लास आना ही बंद कर दिया और घर में रह कर ही पढ़ने लगा उसकी कंप्लेन गई घर पर उसके पिता को बुलाया गया स्कूल वो आये और सारी बात बातये की ऐसा हुआ था मेरे बेटे अक्कू के साथ तो स्कूल प्रबंधन ने उनके पिता से माफ़ी मांगी और कहा कि आगे से ऐसा नहीं होगा आप अक्कू को स्कूल भेजो वरना उपस्तिथि कम होने के कारण उसे परीक्षा में बैठने नहीं दिया जायेगा उनके पिता ने कहा अब वो पेपर के दिन ही आएगा ।और उधर अक्कू को ये सब पता नहीं था, वो घर में ही खूब मेहनत कर के पढ़ रहा था पर वो घर के पास वाले अंकल के यहाँ ट्यूसन जाता था।

एग्जाम का दिन आया वो गया पेपर देने इस बार जब रिजल्ट आया तो वो गणित और इंग्लिश में पास हो गया था । 100/55 गणित में 100/45 इंग्लिश में बाक़ी विषयों पर तो उसने टॉप कर दिया था। उसके जितना नंबर किसी का नहीं था फिर भी वो गणित और इंग्लिश में कम ही नंबर ला पाया वो उस विषय में कमजोर था फिर भी उसने मेहनत न छोड़ी उसी के कारण वो आज पास हो गया उसके लिए तो यहीबहुत था उसने अपने ही डर को डरा कर आगे बढ़ता गया और वो टीचर और छात्र/छात्रा की बोलती बंद हो गई अब उसे कोई 23 नंबर कर के नहीं बुलाता और अब अटेंडेंक्स भी बदल गया अब सब के नाम से अटेंडेंस लगती थी।


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