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Arjun Bisht

Others

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Arjun Bisht

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सूनापन - Silence

सूनापन - Silence

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धनुली अम्मा अपने घर के कोने में बिल्कुल अकेली बैठी दिखी तो, मैं उनके हालचाल जानने उनके पास चल दिया, काफी सालों बाद मिलना हुआ, अब काफी बूढ़ी हो चली थी।


अम्मा से हालचाल पूछे तो, अम्मा बोली बेटा अब क्या हाल होते हैं हम बूढ़ों के, बस जिंदगी के बचे दिन कट रहे हैं।


अम्मा का काफी बड़ा मकान था, या ये कहो की गाँव का सबसे बड़ा मकान धनुली अम्मा का था, बड़ा सा मकान, भरा पूरा परिवार था, बरसों बाद आज देखा तो उजाड़ सा हो चुका था, अब इस घर में आदमी के नाम पर ,कोई था तो वो थी बस अम्मा।


अम्मा के परिवार के सदस्य एक एक करके पलायन कर चुके थे, बड़ा बेटा जयपुर तो छोटा बेटा दिल्ली में अपने परिवार सहित बस चुके थे, नही गई तो बस अम्मा, क्यों नहीं गई पूछने पर अम्मा ने जवाब दिया की, सारी उम्र यहाँ बीता दी, अब अंतिम दिनों में वहाँ जाकर क्या करना, वैसे भी वहाँ मेरा मन वहाँ नही लगता, वहाँ अजीब सा लगता है, मेरे लिये यही अच्छा है।


अम्मा का ये जवाब उत्तराखण्ड के अधिकांश बुजुर्गो का होता है, उनका अपनी जन्मभूमि, अपनी विरासत, अपनी संस्कृति व अपने लोगों से लगाव ,उन्हें अपनी जमीन से दूर नहीं होने देते।


अम्मा लाख परेशानी के बावजूद भी यहाँ से नहीं जाना चाहती थी, उनके लिये अपने गाँव, अपना घर ओर अपने लोगों से बढ़कर कुछ नहीं था, शायद यही सब उन्हें यहाँ रहने को प्रेरित करता था।


अम्मा अकेले में आपका मन कैसे लग जाता है, ये पूछने पर अम्मा बोली, बेटा अकेली कहाँ हूँ, मेरे जैसे कितने बूढ़े लोग हैं यहाँ, उनके साथ दिन कैसे बीत जाता है पता ही नहीं लगता।


अम्मा बोलते बोलते अचानक चुप हो गईं, कुछ देर बाद अचानक बोली, बेटा जब मैं शादी कर के पहली बार यहाँ आई ,तब ये घर ऐसा नहा था, पूरा परिवार यही रहता था, अगल बगल के मकानों में भी लोग रहा करते थे, सब लोग खेती करते थे खूब खेती होती थी, खूब घी दूध देखा है मैंने, पर अब देखो कैसा उजाड़ हो गया है, लोगों के मकान टूट गये हैं, खेत बंजर हो गये हैं, कैसे दिन आ गये, हमने ऐसा कभी सोचा ही नहीं था की, ऐसे दिन भी देखने पड़ेंगे।


अम्मा बोली बेटा मैंने वो दिन भी देखे ,जब सब लोग गाँव में ही रहते थे , सब मिलजुल के काम करते थे, हम खेतों में काम करने जाते थे, अब देखो सूनापन हो गया, वो चहल पहल देखने को आँख तरस गई है , हमारे बाद क्या होगा, शायद गाँव ही उजड़ जायेगा, ये बोलते बोलते अम्मा की आवाज भर्रा गई ओर आँखें डबडबा गई।


अम्मा ने जो भी कहा एक दम सही कहा, आज पहाड़ से इतना पलायन हो रहा है की, गाँव के गाँव खाली होते जा रहे हैं, वो दिन दूर नहीं जब अम्मा के कहे अनुसार लोग तक नहीं दिखेंगे और गाँवो में सन्नाटा छा जायेगा।



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