Charumati Ramdas

Children Stories Classics Children

3  

Charumati Ramdas

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सिर्योझा - 9

सिर्योझा - 9

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करस्तिल्योव की हुकूमत

लेखक: वेरा पनोवा

अनुवाद: आ. चारुमति रामदास

उन्होंने एक गढ़ा खोदा, उसमें खंभा लगाया, लंबा तार खींचा. तार सिर्योझा के आंगन में मुड़ता है और घर की दीवार में चला जाता है. डाईनिंग रूम में छोटी सी मेज़ पर, सिग्नल पोस्ट की बगल में काला टेलिफ़ोन रखा है. ‘दाल्न्याया’ रास्ते पर वह पहला और अकेला टेलिफ़ोन है, और वह करस्तिल्योव का है. करस्तिल्योव की ख़ातिर ज़मीन खोदी गई, खंभा लगाया गया, तार खींचा गया. क्योंकि और लोग तो बगैर टेलिफ़ोन के काम चला सकते हैं, मगर करस्तिल्योव का काम नहीं चल सकता.

चोंगा उठाते हो तो सुनाई देता है – एक औरत, जो दिखाई नहीं दे रही है, कहती है: ‘स्टेशन’. करस्तिल्योव , कमांडर, हुकूमत भरी आवाज़ में आज्ञा देता है, “ ‘यास्नी बेरेग!’ या ‘पार्टी प्रदेश कमिटी’ या ‘सोवियत फ़ार्म का ट्रस्ट दीजिए!” बैठता है, लंबा सिर हिलाते हुए, और चोंगे में बात करता है. और इस समय किसी को भी, मम्मा को भी, उसका ध्यान वहाँ से हटाने की इजाज़त नहीं होती.

कभी कभी टेलिफ़ोन खनखनाती आवाज़ में बजने लगता है. सिर्योझा लपक कर चोंगा उठाता है और चिल्लाता है : “सुन रहा हूँ!”

चोंगे की आवाज़ करस्तिल्योव को बुलाने को कहती है. कितने लोगों को करस्तिल्योव की ज़रूरत पड़ती है! लुक्यानिच को और मम्मा को कभी कभार फ़ोन करते हैं. और सिर्योझा को और पाशा बुआ को तो कोई भी, कभी भी फ़ोन नहीं करता.

सुबह सुबह करस्तिल्योव जल्दी ‘यास्नी बेरेग’ जाता है. दोपहर में कभी कभी तोस्या बुआ उसे खाना खाने के लिए गाड़ी में लाती है, मगर अक्सर नहीं ही लाती है, मम्मा ‘यास्नी बेरेग’ में फ़ोन करती है, मगर उससे कहते हैं कि करस्तिल्योव फ़ार्म पर गया है और जल्दी नहीं लौटेगा.

 ‘यास्नी बेरेग’ भयानक रूप से बड़ा है. सिर्योझा ने तो सोचा तक नहीं था कि वह इतना बड़ा होगा, जब तक वह एक बार करस्तिल्योव और तोस्या बुआ के साथ, करस्तिल्योव के काम से, ‘गाज़िक’ कार में वहाँ नहीं गया. वे बस कार में जाते रहे, जाते रहे! पेड़ों की कतारों के बीच से खूब बड़े बड़े दृश्य ‘गाज़िक’ के सामने आते और दोनों किनारों पर खुलते जाते – शरद ऋतु के बड़े बड़े घास के मैदान; हल्के बैंगनी कोहरे को भेदकर ज़मीन के उस छोर तक जाने वाले घास के ऊँचे ऊँचे ढेर; अनाज काट लेने के बाद बचे पीले पीले खूंटों वाले लंबे चौड़े खेत; कहीं कहीं मक्के के हरे हरे पौधों की लाईनों से सजी काली मखमली धरती. रास्ते एक दूसरे से मिल रहे थे, एक दूसरे को काट रहे थे, भूरी रिबन्स की तरह; उन पर लॉरियाँ दौड़ रही थीं, ट्रैक्टर्स घास की चौकोर टोपियाँ पहनी गाड़ियों को खींच कर ले जा रहे थे. सिर्योझा पूछता जा रहा था:

 “और, अब ये क्या है?”

और उसे एक ही जवाब मिलता, “यास्नी बेरेग.”

लंबे चौड़े मैदानों में खो गए, एक दूसरे से दूर हैं तीन फ़ार्म्स: भारी भरकम इमारतों के तीन समूह: एक फ़ार्म में है साईलो (अनाज रखने की मीनार) ; दूसरे में हैं मोटर गाड़ियों के लिए शेड्स. कारखाने में ड्रिलिंग मशीन की श्यूss श्यूss और ब्लो लैम्प्स की झूss झूss की आवाज़. धातु-काम की भट्टी के गहरे काले अंधेरे में आग की चिनगारियाँ उड़ रही हैं, हथौड़ों की आवाज़ आ रही है...

और चारों ओर से लोग बाहर निकल निकल कर आ रहे हैं, करस्तिल्योव को नमस्ते करते हैं, और वह हर चीज़ ध्यान से देखता है, सवाल पूछता है, हुकुम देता है, फिर ‘गाज़िक’ में बैठकर आगे जाता है. अब समझ में आया कि उसे क्यों हमेशा ‘यास्नी बेरेग’ में जाने की जल्दी पड़ी रहती है. अगर वह आकर नहीं बताएगा तो उन्हें कैसे मालूम पड़ेगा कि क्या करना है?

फ़ार्म्स पर बहुत सारे जानवर हैं : सुअर, भेड़, मुर्गियाँ, बत्तख़ – मगर सबसे ज़्यादा गाएँ हैं. जब तक गर्म मौसम था, गाएँ आज़ाद घूमती थीं, चरागाहों में. अब तक वहाँ शेड्स हैं जिनके नीचे वे बुरे मौसम में रातों को रहती थीं. अब गाएँ जानवरों वाले आँगन में हैं. एक लाईन में शांति से खड़ी रहती हैं, सींगों पर जंज़ीर डालकर उन्हें लकड़ी के एक डंडे से बांधा जाता है, और वे पूँछ हिलाते हुए एक लंबी-लंबी ट्रे से घास खाती रहती हैं. वे शराफ़त से व्यवहार नहीं करतीं: पूरे समय उनके पीछे पीछे गोबर इकट्ठा किया जाता है. सिर्योझा को यह देखकर बड़ी शरम आ रही थी कि गाएँ कितनी बेशर्मी से रहती हैं; करस्तिल्योव का हाथ पकड़े-पकड़े वह जानवरों के आँगन के गीले पुलों से चल रहा था, बिना आँख ऊपर उठाए. करस्तिल्योव उनकी बेशर्मी पर ध्यान नहीं दे रहा था, वह गायों की पीठों को थपथपाते हुए हुक्म दे रहा था.

एक औरत उससे कुछ बहस कर रही थी, उसने यह कहते हुए बहस बीच ही में काट दी:

 “ठीक है, ठीक है. करिए, करिए.”

और औरत चुप हो गई और जो उसने कहा था वह करने चली गई.

दूसरी औरत पर, जो मम्मा जैसी ही फुंदे वाली नीली कैप पहने थी, वह चिल्लाया:

 “इसका जवाब कौन देगा, क्या इन छोटी छोटी बातों की ज़िम्मेदारी मुझ पर है?”

वह उसके सामने परेशान सी खड़ी रही और बार बार कहती रही:

 “ये मेरी नज़र से कैसे छूट गया, मैंने इस बारे में सोचा क्यों नहीं, मुझे ख़ुद को ही समझ में नहीं आ रहा है!”

न जाने कहाँ से लुक्यानिच हाथों में एक कागज़ पकड़े हुए आया; उसने करस्तिल्योव को एक फाउन्टेन पेन दिया और बोला:

 “साईन करो.” मगर करस्तिल्योव का चिल्लाना अभी पूरा नहीं हुआ था, वह बोला, “ठीक है, बाद में.” लुक्यानिच ने कहा, “ ‘बाद में’ का क्या मतलब है, मुझे तुम्हारे साईन के बिना तो नहीं देंगे, और लोगों को तनख़्वाह मिलनी चाहिए.”

तो ऐसा है, अगर करस्तिल्योव कागज़ पर साईन नहीं करेगा, तो उन्हें तनख़्वाह तक नहीं मिलेगी!

और जब सिर्योझा और करस्तिल्योव गोबर के लोंदे के बीच से होकर, उनकी राह देख रही ‘गाज़िक’ की तरफ़ आ रहे थे, तो बढ़िया कपड़े पहने हुए एक नौजवान उनके सामने आया – उसने रबड़ के कम ऊँचे जूते पहने थे और चमड़े का चमकीली बटन वाला जैकेट पहना था.

 “दिमित्री कोर्नेएविच,” उसने कहा – “अब मैं क्या करूँ? वे मुझे रहने के लिए जगह ही नहीं दे रहे हैं, दिमित्री कोर्नेएविच!”

 “और तुमने सोचा,” करस्तिल्योव ने रूखेपन से पूछा, “कि तुम्हारे लिए कॉटेज तैयार है?”

 “मेरी ज़िन्दगी का सत्यानाश हो रहा है,” नौजवान ने कहा, “ दिमित्री कोर्नेएविच, अपना आदेश वापस ले लीजिए!”

 “पहले सोचना चाहिए था,” करस्तिल्योव ने और भी रुखाई से कहा. “कंधों पर सिर तो है ना? अपना सिर खपाया होता.”

 “ दिमित्री कोर्नेएविच, मैं आपसे विनती करता हूँ, एक इन्सान से दूसरे इन्सान की तरह विनती करता हूँ, आप समझ रहे हैं ना? मुझे अनुभव नहीं है, दिमित्री कोर्नेएविच, इन आपसी संबंधों की तह तक मैं गया नहीं हूँ. ”

 “मगर तुम इस बात की तह तक तो गए हो कि ‘साइड-बिज़नेस’ कैसे करते हैं?” करस्तिल्योव ने स्याह चेहरे से पूछा, “दिया हुआ काम छोड़ देना और साइड-बिज़नेस करना – इसका अनुभव है?”

वह जाने लगा.

 “दिमित्री कोर्नेएविच,” नौजवान ने पीछा नहीं छोड़ा, “ दिमित्री कोर्नेएविच! प्लीज़, मेहेरबानी कीजिए! मुझे अपनी भूल सुधारने का मौका दीजिए! मैं अपनी गलती मानता हूँ! प्लीज़, काम पर रहने की इजाज़त दीजिए, दिमित्री कोर्नेएविच!”

 “मगर याद रखना!” करस्तिल्योव ने पीछे मुड़कर गरजते हुए कहा, “एक बार और ऐसा हुआ तो!...”

 “मगर अब मुझे उनकी ज़रूरत क्या है, दिमित्री कोर्नेएविच! वे सिर्फ एक बिस्तर देने का वादा करते हैं, और वह भी कुछ समय बाद...मैंने थूक दिया उन पर, दिमित्री कोर्नेएविच!”

 “जंगली स्वार्थी,” करस्तिल्योव ने कहा, “व्यक्तिवादी, सुअर की औलाद! आख़िरी बार – जा काम कर, शैतान ले जाए तुझे!”

 “फ़ौरन काम पर जाता हूँ!” फट् से नौजवान ने कहा और आगे बढ़ गया, रूमाल बांधी लड़की की ओर देखकर आँखें मिचकाते हुए, जो कुछ दूरी पर खड़ी थी.

 “तुम्हारे लिए आदेश वापस नहीं ले रहा हूँ, तान्या की ख़ातिर ले रहा हूँ! उसे धन्यवाद दो कि वह तुमसे प्यार करती है!” करस्तिल्योव चिल्लाया और उसने भी जाते जाते लड़की की ओर देखकर आँखें मिचकाईं. और वह लड़की और नौजवान हाथों में हाथ लिए उसकी ओर देखते रहे, अपने सफ़ेद दाँत दिखाते हुए.

तो, ऐसा है करस्तिल्योव : अगर वह चाहता तो नौजवान को और तान्या को बहुत तकलीफ़ हुई होती.

मगर वह ऐसा नहीं चाहता था, क्योंकि वह न केवल सर्वशक्तिमान है, बल्कि दयालु भी है. उसने ऐसा किया जिससे वे ख़ुश हैं और मुस्कुरा रहे हैं.


सिर्योझा को गर्व क्यों न हो कि उसके पास ऐसा करस्तिल्योव है?

यह बात साफ़ है कि करस्तिल्योव सबसे अच्छा और सबसे बुद्धिमान है, इसीलिए उसको सबके ऊपर रखा गया है.


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