श्राद्ध
श्राद्ध
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दूसरे गाँव श्राद्ध खाने जाना था उनको, पैदल चल दिये ।पितृ प्रसाद गीता और दस रूपये एक गमछा ।वापस घर आने में रात हो गई ।अंधेरा था और एक ठोकर लगी ,गिर गये पहाड़ी से नीचे अटके एक पेड़ पर ।प्राणपखेरु ।दस दिन बाद घर में बेटों ने पितृ श्राद्ध किया।
