श्राद्ध वाली पूजा...
श्राद्ध वाली पूजा...
“सुनो कल के लिए पंडितजी को बुलावा भेज देना, बाऊजी का श्राद्ध कर्म है।” विधान ने कोट पहनते हुए कहा।
“जी यह काम तो मैंने कल ही कर दिया था। उन्होंने सुबह के नौ बजे का समय दिया है आने के लिए। उसके बाद उन्हें कही और भी जाना था।” विधान के पास खड़ी हुई उसकी पत्नी विधि ने कहा।
“चलो अच्छा किया। कल के सामान की लिस्ट दे दो, ऑफिस से लौटते वक्त बाजार से लेकर आ जाऊंगा।” विधान ने घड़ी बाँधते हुए कहा।
विधान के ऑफिस जाने के बाद उनका बेटा विधेय विधि के पास जाकर खड़ा हो गया।
“क्या हुआ चिंकू? ऐसे क्यो खड़े हो?”
“मम्मी यह श्राद्ध क्या होता है?”
“बेटा आपके दादाजी भगवान जी के पास है ना तो उनके लिए फूड, क्लोथ्स भेजने के लिए हम पूजा करते है। अगर वह वहाँ पर भूखे रह गए तो आपके पापा को बिजनेस में नुकसान होगा।”
“तो क्या पूजा करने से यह सब उन्हें मिल जाता है?”
“हाँ, भगवान जी उन्हें यह सब दे देते है।”
“तो उन्हें यहाँ पर भी श्राद्ध वाली पूजा करनी चाहिए थी इससे यहाँ उन्हें खाना मिल जाता और कपड़ा भी। मम्मी आप भी श्राद्ध वाली पूजा करना फिर आपको भी डेली खाना मिला करेगा।”