सौंदर्य बोध
सौंदर्य बोध
सौंदर्य कोई शब्द नही है जो सुनाई दे, सौंदर्य कोई घटना नहीं है जो दिखाई दें.. सौंदर्य तो मन की आंखों से देखे तो दिखाई देता है..
सौंदर्य का कहा वर्णन हो पाता है. सौंदर्य तो आंखों में समाकर दिलों मे उतर जाता है...
सौंदर्य देखते ही सिर्फ खुशी महसूस होती है, वो दिल की गहराइयो में, एकदम गहरे, समा जाता है...
सौंदर्य वो है जिसको देखकर डूबना अच्छा लगता है,
फिर कुछ होश ही नही रहता, एक ऐसा आनंद, जिसका वर्णन नही किया जा सकता, जो शब्दों में नही समाता, सिर्फ महसूस किया जा सकता है सौंदर्य की परिभाषा नहीं है...
पर शर्त यह है कि सौंदर्य देखने के लिए मन सरल और स्वच्छ बेशर्त हो...
जिसमे कोई मलीनता न हो, अपेक्षा न हो, पाने की चाहत न हो, तभी सौंदर्य मनकों लुभाएंगे..
सौंदर्य का उपभोक्ता नहीं रक्षक बने जो कहा नही सिर्फ किया जाये! आत्मा से, दिल की भावनाओं की गहराइयो से, तभी सौंदर्य बरकरार रहेगा,
सौंदर्य तन का और मन का भी होता है..
जो सौंदर्य देखकर मन प्रफुल्लित हो जाता है वो सौंदर्य बोध है...!!!
