ऋतुराज 'बसंत'
ऋतुराज 'बसंत'
'बसंत ऋतु' नाम ही उमंग, उत्साह, हर्ष और उल्लास से परिपूर्ण है। तो फिर क्यों न इसके आगमन पर मन में उमंग, उत्साह, हर्ष और उल्लास जागे और जागना भी स्वाभाविक है, आखिर 'बसंत ऋतु' सभी ऋतुओं का राजा जो है।
जिस प्रकार एक अच्छे राजा के राज्य में उसकी प्रजा खुशहाली और संतुष्टि का अनुभव करती है, ठीक उसी प्रकार 'बसंत ऋतु' के राज्य (मौसम) में सृष्टि के समस्त प्राणी (मनुष्य, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी आदि) सभी एक नई तरह की ऊर्जा और खुशी का अनुभव करते हैं।
'बसंत ऋतु' में सब कुछ नया सा और बहुत अच्छा महसूस होता है। शरद ऋतु की कड़कड़ाती ठंड, अलसायी सी सुबह, और घने कोहरे के बाद जब 'बसंत' शुरू होता है तो मन ताजगी से भर उठता है। सुबह की धूप में एक अलग ही चमक होती है। खेतों में लहलहाती सरसों 'बसंत' के आगमन पर खुशी का इजहार करती हैं और प्रकृति में 'बसंती रंग' बिखेरती हैं।
पक्षी भी अपने जोड़े के साथ बड़े ही खुश नजर आते हैं जैसे एक-दूसरे से अपने प्यार का इजहार कर रहे हों। पेड़ों की पत्तियां और तरह-तरह के सुन्दर, मनमोहक फूल हवा से हिलते हुए ऐसे लगते हैं जैसे एक साथ कोई गीत गाते हुए झूम रहे हों और खुशी से अपना सिर हिला रहे हों... आखिर ऋतुराज 'बसंत' जो आए हैं।