राजू पर जादू का नशा
राजू पर जादू का नशा
नन्हा राजू यही कोई 6 साल का बच्चा रहा होगा एक बार उसने जादू का खेल देखा था।तबसे वह अपने आप को जादूगर के रूप में देखता था और उसी के सपने देखता था ।उसने देखा था कि जादूगर ने किस तरह से हवा में उड़ना बताया उसको क्या पता कि यह सब ट्रिक है। उसके लिए तो वह एक जादू ही था और जादूगर भगवान से कम नहीं।वह भी अपने आप को हवा में उड़ते हुए देखना चाहता था। जब भी उसको मौका मिलता कोशिश करता कि वह हवा में उड़ सके।
ऐसे ही उसको एक दिन ना जाने क्या सूझी हवा में उड़ने के चक्कर में कहीं से गुब्बारा लाया उस गुब्बारे के साथ में खुद को बांधा छत पर चढ़ गया ।देखो मैं उड़ रहा हूं देखो मैं उड़ रहा हूं करता हुआ। लोग जब तक आते तब तक वह छत से नीचे गिरा, मगर भाग्य अच्छा था। ज्यादा चोट नहीं आई खाली हाथ और पांव में फैक्चर हो गया और वह बच गया। मगर उसको बड़ा दुख हो रहा था कि वह उड़ नहीं पाया।
तब उसके माता-पिता ने उसको समझाया कि जादूगर लोगों में कोई जादू नहीं होता है। यह तो उनके ट्रिक होती है तुमने जिस लड़की को हवा में उड़ाते हुए देखा उसको उसने बीच में से रख एकदम नहीं दिखने जैसे रस्सी से बांध रखा था। वह रस्सी तुमको नजर नहीं आई इसी तरह सर्कस में एक जगह से दूसरी जगह जो जाते हैं वह भी रस्सी से बंधे हुए होते हैं तो वह रस्सी नजर नहीं आती है, और हमको लगता है कि यह ऐसे एक जगह से दूसरी जगह कूद रहे हैं और रहे हैं ।बाल मन को समझाने में बहुत टाइम लगा।
मगर ईश्वर का धन्यवाद देते हुए उसके मां बाप ने शांति की सांस ली कि थोड़े में ही चल गया नहीं तो पता नहीं छत से गिरकर क्या हो जाता बच्चे का। उन्होंने बच्चे को अब की जादूगर का खेल आए तो जादूगर के पास डायरेक्ट ले जाकर बात करवा कर उसके मन की जिज्ञासा को दूर करवाने का विचारने
लगे। और उन्होंने ऐसा भी सोचा इस को जादूगर का शौक है तो इसको जादू का खेल भी सिखाया जाए। और उनको मन में संतुष्टि हुई और वह राजू को बहुत प्यार से देखने लगे। उसको गोदी लेकर के और उसको समझाने की कोशिश करने लगेकि यह जादू कोई शक्ति नहीं होती है कुछ नहीं होता सब टेक्ट होती है।
पता नहीं है कितना समझा कितना नहीं पर मुझे जादू सिखाएंगे ऐसा सुनकर खुश हुआ और मां की गोद में दुबक कर शांति से सो गया.
