पुरातन परिवार का प्रेम
पुरातन परिवार का प्रेम
मेरा जन्म एक महानगर में ही हुआ है। मेरा परिवार न ज्यादा छोटा था न ही ज्यादा बड़ा। घर में दादाजी, दादीजी और चाचा सब थे। हम लोग एक ही मकान में रहते थे। मुझे बचपन में मेरे दादाजी सुबह घुमाने ले जाया करते थे, मुझे हर रोज बिस्कुट खिलाया करते थे, वो तिल वाली बेकरी बिस्किट
मुझे आज भी उसका और चाय का स्वाद बहुत अच्छी तरह याद है। सुबह घुमाकर लौटना और फिर मां दूध बिस्किट खिलाती थी। मैं और मेरा भाई पढ़ने बैठते थे। हम दोनों खुब लड़ाई करते। मेरे चाचा मुझे हर रोज डेरी मिल्क का चाकलेट लाकर देते थे। चाचा मुझे बाइक पर बैठाकर बहुत दूर-दूर तक घुमाने ले जाते थे।
हम लोग एक ही मकान में रहते, पूरा परिवार हमें बहुत प्यार करता था। मकर संक्रांति पर दादी चुड़ा दही, अपने हाथों से खिलाती थी। दादा जी रोज अपने खाने में से एक निवाला जरूर मुझे या भाई को खिलाते थे। होली पर चाचा रंग और पिचकारी ला देते थे, अपने से ही गुब्बारे में रंगीन पानी भर देते , और हम लोग बहुत मज़े करते थे। सरस्वती पूजा में मेरी दादी मुझे साड़ी पहनाती थी और पुष्पांजलि देने ले जाती थी। न्यू इयर और दुर्गा पूजा में दादी और दादा नया कपड़ा खरीद कर देते थे। हम लोग दादा - दादी के साथ पूजा पंडाल घूमने जाया करते थे। हम लोग साल में एक बार घर पर ही पिकनिक जरूर करते थे, वो भी लिट्टी चोखा का।
परिवार के एक - एक सदस्य अपना और पराया के मर्म को समझने लगे और हमारा परिवार टूटता चला गया। आज न दादी साथ है और परिवार के बाकी सदस्य पास होकर भी पास नहीं। हमारे फासले इतने बढ़ गए कि हम लोग बिछड़ते चले गए।
ये कहानी हर एक उस बच्चे की है, जो अभी जवान हो चुका है। हम सभी व्यक्ति इसी तरह के किसी न किसी परिवार में पले बढ़े । हमारा परिवार, हमारे लिए कितना आवश्यक होता हैं, इसे वो ही समझ सकते हैं जो लोग अपने परिवार वालों के साथ रहते होंगे, और जो आज परिवार से बहुत दूर रहते हैं।
हमारे आगामी प्रजन्म के बच्चे शायद इस तरह की परिवार के परिभाषा से भी अनभिज्ञ होंगे। परिवार छोटे हो रहे हैं, परंतु परिवार के बड़े सदस्यों के प्रेम से बच्चे अछूते रह जाएंगे, बच्चों का पालन-पोषण अब माता पिता नहीं कर पाते, माता पिता के व्यस्त जीवन में उनके साथ बैठने का समय नहीं। बच्चे दादा - दादी से दूर रहने को मजबूर हैं। बच्चे जिन्हें आज परिवार का प्यार नहीं मिलेगा वो कैसे प्यार और सम्मान अपने परिवार को दे पाएंगे।
