Vandana Bhatnagar

Children Stories

5.0  

Vandana Bhatnagar

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परी माँ

परी माँ

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शिशिर की माँ बचपन में ही गुज़र गई थीं। शिशिर के द्वारा माँ के बारे में पूछे जाने पर उसके पिता उसे बताते थे कि उसकी माँ परी बनकर आकाश में रहती है ।उसने अपने मन में यही धारणा कायम कर ली थी ।वह जब पांच-छ: साल का हुआ तो उसके पापा ने दूसरी शादी कर ली । शिशिर जिसने अपनी माँ को कल्पना में परी के रूप में संजो रखा था वह अपनी न‌ई माँ के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रहा था। नई माँ उसे प्यार देने की कोशिश करती पर वह उससे दूर भाग जाता था ।उसके पापा उसको बहुत समझाते पर वह कोई बात सुनने को तैयार ही नहीं रहता था ।इसी तरह दो-तीन साल गुज़र गए ।एक दिन शिशिर खुले आसमान के नीचे बैठा अपनी माँ को याद कर रहा था ।उसे ऐसा लगा जैसे कोई परी उसकी तरफ बढ़ी आ रही हो और वह भी उसकी तरफ खिंचा जा रहा हो। उसने सोचा कि भगवान ने आज उसकी सुन ही ली जो उसकी माँ को उसके पास भेज दिया। परी से मिलकर शिशिर ने अपने मन की सारी बातें उसे बता दी थीं। शिशिर की बात सुनकर परी बोली तुझसे दूर जाकर मेरा भी मन नहीं लगा। मैं फिर रूप बदलकर तेरी न‌ई माँ बन कर आ गई पर तू तो मुझसे नाराज़ ही रहता है ,मैं जितना तुझे प्यार करने की कोशिश करती हूं तू मुझसे दूर भाग जाता है ।इसलिए आज परी के रूप में आकर तुझे सब बताना पड़ा ताकि तू मुझसे अर्थात अपनी नई माँ को समझ सके । शिशिर यह जानकर खुश हो गया वह परी से कुछ कहने ही वाला था पर अब वहां पर उसे कोई परी दिखाई नहीं दी ।शिशिर वहां से उठकर अपने घर की ओर तेज़ी से भागा जहां उसकी माँ उसका इंतज़ार कर रही थीं।वह अपनी माँ से कस कर लिपट गया क्योंकि अब उसे अपनी परी माँ मिल गई थी । शिशिर ने अपनी न‌ई माँ को जब माँ कहकर पुकारा तो उसकी माँ की आंखों में खुशी के आंसू आ गए थे। वह खुद कभी माँ नहीं बन सकती थी और जो उसे बेटे के रूप में मिला था वह उससे खफा ही रहता था। शिशिर के बदले व्यवहार को देखकर सब खुश थे ।सही मायनों में घर में खुशियां लौट आई थीं।


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