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Vimla Jain

Children Stories

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Vimla Jain

Children Stories

फिर याद आई है भूली दास्तां

फिर याद आई है भूली दास्तां

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आज सुधा अपने घर की बालकनी में खड़े होकर सावन की जोरदार बरसात होती देख रही है और बरसात का आनंद उठा रही है। आनंद उठाते उठाते अपने किशोरावस्था के समय की घटना को याद करने लगती है। उस दिन भी ऐसी ही बरसात हो रही थी। उसका गांव नर्मदा नदी के किनारे था ,नर्मदा नदी का तट बहुत सुंदर था । वह अक्सर अपनी सहेलियों के साथ में वहां पर घूमने जाती थी , और कभी-कभी सहेलियों संग नदी में तैरने जाया करती थी।

इसको बचपन से ही अपने मां-बाप की बात सुनने की आदत नहीं थी और बहुत जिद्दी थी ।

उस दिन भी ऐसे ही बहुत बरसात हो रही थी नदी पर भी अलर्ट जारी कर दिया था कि कोई नदी में ना जाए मगर जिद्दी लोगों को कौन समझाए । वह और उसकी सहेलियां घरवालों से आंख बचाकर नर्मदा नदी के किनारे चली गई। और नदी के अंदर तैरने में भी चली गई।

अचानक ही बरसात भी बहुत तेज हो गई और पानी का बहाव भी बहुत तेज था। उसकी दोनों दोस्त तो फटाफट बाहर निकल गई ।

मगर सुधा उनकी मजाक उड़ाते हो नदी के अंदर तैरते हुए बहुत अंदर तक चली गई अब उससे नदी में तैरते नहीं बन रहा था । पानी का तेज बहाव और ऊपर से तेज बरसात उसको अपनी तरफ खींच रही थी।

बहुत हाथ-पांव मार रही थी आवाज भी नहीं निकल रही थी मुंह से । डर भी बहुत लग रहा था अब तो गए अब तो कहीं वाली स्थिति हो गई । तभी एक लड़का छोटा सा किनारे पर खड़ा था ,उसने देखा एकदम नदी में कूदा उसके हाथ में सुधा बाल आ गए और वह उसकी चोटी को पकड़ उसको खींचता हुआ बहुत ही मुश्किल से किनारे की तरफ बढ़ा। उसकी सहेलियों ने ऊपर जाकर खबर कर दी थी कि वह डूब रही है , तो कुछ लोग दौड़े चले आए और थोड़ी दूसरी सहायता मिलने के कारण उसकी जान बच गई।

मगर वह इतना डर गई इसके बाद में उसने नदी में नहाना भी छोड़ दिया और वहां किनारे चक्कर लगाना भी छोड़ दिया। मां-बाप की बात भी सुनने लगी।

वह हादसा उसको बहुत दिन तक डराता रहा और मां बाप की अच्छी बेटी बनकर रहने लगी सबसे छोड़ दी उनकी बातें सुनने लगी उनको भी अच्छा लगने लगा

आज उसी को याद करके उसके रोंगटे खड़े हो गए की मैंने मां-बाप की बात मानी होती तो ऐसी तकलीफ नहीं पड़ती ।

अगर वह बच्चा मुझे बचाने नहीं आता तो मैं बच नहीं पाती और आज मैं यहां नहीं खड़ी रहती।

 उसकी आंखों में आंसू आने लगते हैं। तभी उसके बच्चे आकर उससे लिपट जाते हैं और उसको पूछते हैं क्यों रो रही है तब वह कहानी रूप पूरी बात उनको समझाती है। बोलती है हमेशा मम्मी पापा की बात माना करो मना करें तो उस काम को मत करना जिद मत करना।

 बच्चे भी बोलते हैं हम आपकी हम आपकी सब बात मानेंगे और वह बच्चों के साथ खुशी खुशी बरसात की मौज मानने और पकोड़े बनाकर खिलाने के लिए रसोई में चली जाती है।



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