मूँगफली की महफिल

मूँगफली की महफिल

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कमरे में महफिल जमी हुई थी। बीनू अपने बेसुरे राग से सबका मनोरंजन कर रहा था। उसका राग खत्म होने के बाद सबने तालियाँ बजाकर उसका आभार व्यक्त किया। सर्दी का मौसम होने की वजह से सब लोग कंबल लपेटे आपस में चिपके हुए बैठे थे। सब लोगों के बीच में एक बड़े से बर्तन में मूंगफली रखी हुई थी, जिसे काले नमक के साथ हंसते-बतियाते खाया जा रहा था।


ओशी उर्फ ओजस को यह सब कुछ अजीब सा लग रहा था। वह इस परिवार का एक अप्रवासी सदस्य था और अपने माता-पिता के साथ पहली बार भारत में अपने छोटे चचेरे-ममेरे भाई-बहनों से मिलने आया था। उसके लिए सबसे अजीब बात यह थी कि उसके मम्मी-पापा भी इन सब का खुशी से हिस्सा बन गए थे।


“भैया आप खड़े क्यों है? हमारे साथ आकर बैठो ना। देखो कितना मजा आ रहा है। उस नोनू ने मेरी सारी मूंगफली चट कर दी और अपनी वाली जेब में ठूंस रक्खी हैं।” चीनू उसे हाथ खींचकर अपने साथ एक दूसरे कमरे में ले गई।

 

वहाँ पर बालमंडली की एक अलग ही महफिल जमी हुई थी। सब बच्चे ओजस को देखकर बहुत खुश थे। ओजस बेमन से उनके बीच जाकर बैठ गया।


“भैया आपके उधर में तो बहुत ठंड होती है ना तो क्या आप भी आग सेंकते है।” नन्हे किशन ने बालसुलभ मासूमियत से पूछा।


ओजस को कुछ समझ नहीं आया कि वह क्या जवाब दे कि तभी चीनू ने उसके आगे मूंगफली के कुछ दाने काले नमक के साथ रख दिए। ओजस ने संकोच करते हुए मूंगफली मुँह में डाली। भुनी हुई मूंगफली का स्वाद उसके मन को भा गया। अब वह सब बच्चों के साथ भारत की मूंगफली की महफिल में शामिल हो गया था।


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