मम्मी अंकल गंदे हैं
मम्मी अंकल गंदे हैं
दोनों ही पति पत्नी जॉब करते थे। राज के माता पिता गांव में रहते और कभी-कभार ही उनके पास आते थे। इस वर्ष उन्होंने नव्या का एडमिशन स्कूल में करवा दिया था। स्कूल पास में था । लेकिन सुबह किसी के पास समय नहीं था इसलिए उन्होंने वैन लगवा दी। जिससे नव्या समय से स्कूल पहुंच सके। वैन में उस सोसायटी के अन्य बच्चे भी जाते थे इसलिए नव्या खुशी-खुशी उनके साथ स्कूल जाने लगी। वह वैन ड्राइवर काफी समय से सोसायटी के बच्चों को लेकर जा रहा था इसलिए वह दोनों उसकी ओर से निश्चिंत थे।
नव्या बहुत ही प्यारी सी और बातूनी लड़की थी। एक दिन जब मीरा उसे वैन में बिठाने आई तो वैन ड्राइवर ने उसे आगे बिठाने के लिए कहा तो नव्या भी खुश होते हुए बोली "हां हां मम्मी मैं भी आगे बैठूंगी ।आगे से सब अच्छा दिखता है। " उसकी खुशी को देख मीरा ने उसे ड्राइवर के पास वाली सीट पर बिठा दिया । अब तो रोज का काम था जैसे ही नव्या आती, ड्राइवर भैया उसे आगे बिठाने के लिए कहता और वह भी खुश होते हुए बैठ जाती।
एक दिन मीरा ऑफ़िस के लिए बहुत लेट हो रही थी। जैसे ही वह उसे आगे बिठाने लगी तो नव्या बोली "मम्मी मुझे नहीं बैठना आगे।" मीरा ने बिना उसकी बात सुने कहा "बेटा आप जल्दी से बैठो। मुझे लेट हो रहा है।" " मम्मी सुनो तो!" उसकी बात अनसुनी कर, मीरा ने उसे बिठा दिया और चली गई। अगले दिन भी नव्या जब आगे बैठने में आनाकानी करने लगी तो मीरा उसे पीछे की सीट पर बैठाने लगी। तब ड्राइवर बोला "अरे दीदी! आगे बिठा दो पीछे सीट कहां है !आगे आराम से बैठेगी।" मीरा को भी उसकी बात सही लगी। क्योंकि वैन में पीछे काफी बच्चे थे। नव्या फिर से रोने लगी और बोली "मम्मी मुझे नहीं बैठना आगे।" मीरा कुछ कहती, इससे पहले ही ड्राइवर ने वैन आगे बढ़ा दी।
अगले दिन नव्या स्कूल जाने के समय रोने लगी। "मम्मी मुझे स्कूल नहीं जाना।" "पर क्यों बेटा ? क्या तुम्हें स्कूल में पढ़ना अच्छा नहीं लगता। आप तो कहते हो आपकी टीचर और आपके फ्रेंड्स बहुत अच्छे हैं !" "हां मम्मा मेरे टीचर और फ्रेंड्स बहुत अच्छे हैं लेकिन वैन वाले अंकल बहुत गंदे हैं।" उसकी बात सुन मीरा एकदम से चौक गई और बोली " क्यों बेटा वह तो तुम्हें आगे बिठाते हैं और प्यार भी करते हैं ना!" "मम्मा वह प्यार नहीं करते । वह गंदे हैं वह बैड टच करते हैं ।" "बैड टच! कैसे मतलब! "मीरा ने कुरेद कर पूछना चाहा तो नव्या बोली " मुझे बार-बार यहां यहां छूते हैं। मुझे अच्छा नहीं लगता मैं नहीं जाऊंगी उनके साथ।"
अपनी बेटी की बात सुन मीरा हैरान रह गई। उसने राज को साथ लिया और जल्दी से गेट पर पहुंची। सभी पेरेंट्स वहां वैन के इंतजार में खड़े थे। उसने सब को यह बात बताई। जैसे ही वैन आई सभी ने उसका घेराव कर लिया और पुलिस को खबर दे दी। उसके बाद स्कूल में भी उसकी कंप्लेंट की। जिसके बाद स्कूल वालों ने उसे स्कूल से हटा दिया।
दोस्तों माना आज के समय में माता-पिता दोनों ही कामकाजी है। लेकिन हमें समय निकाल अपने बच्चों से बात करते रहना चाहिए। हमारी जरा सी लापरवाही से हमारे बच्चे बड़ी मुसीबत में फँस सकते हैं। हमें अपने बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार रखना चाहिए। जिससे वह अपने मन की हर बात बेझिझक बता सके।