Vineeta Dhiman

Children Stories

5.0  

Vineeta Dhiman

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मेरा देश,मेरी भाषा

मेरा देश,मेरी भाषा

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"मुझे आज भी याद है सोना, तुमने एक दिन स्कूल से आकर तूफान मचा दिया था|"


सुनीता ने अपनी प्यारी बेटी से कहा "मम्मी मुझे तो याद नहीं! क्या कहा था मैंने?"


"बेटा तब तुम मात्र 5 साल की थी और अब तुम 20 साल की हो गयी हो। अब तुम्हे पता है कि क्या सही है और क्या गलत| आपको पता है हिंदी कौन है?" सुनीता ने सोना से पूछा|


"हाँ मम्मी पता है, हिंदी हमारी मातृभाषा है और दुनिया के कई हिस्सों में बोली जाती है। हम हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाते हैं|" सोना इठलाती हुई बोली|


"वाह! मेरी लाड़ो को तो सब पता है। तुम तो बहुत समझदार हो।"

"अब बताओ न मम्मी मैंने क्या कहा था?"


तभी सुनीता बोली "एक दिन आप स्कूल से आये, तो बोले आज हमारी मैडम ने कहा कि आज से कोई भी बच्चा हिंदी में बात नहीं करेगा| सब बच्चे अब घर पर भी इंग्लिश में ही बात करेंगे| चाहे आप सेन्टेंस गलत बोलो, लेकिन बात इंग्लिश ही में करो।"


"अच्छा बेटा, लेकिन तुम्हारी माँ को तो इंग्लिश आती नहीं? फिर कैसे बोलोगे!"


तभी इसके पापा बोल पड़े "माँ को नहीं आती तो क्या, इसके पापा को आती है।"


उस दिन के बाद से घर मे इंग्लिश की महाभारत शुरू थी| फिर तो आप घर, बाहर, स्कूल कहीं भी जाते सब जगह इंग्लिश बोलते थे।"

"लेकिन मम्मी आप तो पढ़े लिखे हो, आप तो मुझे पढ़ाते थे, फिर आपने क्यों कहा कि आपको नहीं आती?" सोना ने आश्चर्य से पूछा|


"वो इसलिए कि मेरी बेटी तुम यह सोचो कि अब मम्मी से तो हिंदी में बात करनी होगी और फिर हुआ भी वैसा| तुम सबसे इंग्लिश में बात करती और मुझसे हिंदी में। इस कारण तुम्हारी हिंदी और इंग्लिश दोनों अच्छी है।

तुम रोज रात को जो कहानी सुनती थी हिंदी में, एक दिन मैंने तुम्हें वो इंग्लिश में सुनाई तो तुम बोली मम्मी मजा नहीं आया| आप हिंदी में ही सुनाओ, आप हिंदी बोला करो।"


"जहाँ तुम्हारे पापा इंग्लिश में गिटर पीटर करते, वहाँ मैं तुम्हें हिंदी सिखाती। सोना तुम्हे पता है, मैंने अपनी पूरी पढ़ाई हिंदी मीडियम से की है और हमेशा अपनी क्लास में अव्वल आती थी और कितने सारी प्रतियोगिता में भाग लेती और जीतती भी थी|" सुनीता ने कहा|


"हाँ पता है मम्मी, मैंने आपके सारे प्रमाणपत्रों को देखा है और आपने तो अपने समय में एम. फिल में यूनिवर्सिटी टॉप भी की थी।"

"सही कहा तुमने बेटा और मेरी इन सब उपलब्धियों के पीछे मेरी हिंदी भाषा थी। जहाँ उस समय मेरे सभी दोस्त इंग्लिश को चुन रहे थे, वहीं मैंने हिंदी को चुना और अपनी पढ़ाई की। सोना बेटा, भाषा कोई भी हो, चाहे आप किसी भी भाषा मे बात करो लेकिन अपनी मातृभाषा को कभी मत छोड़ो।


हिंदी भाषा हमारे संस्कृति, संस्कारों में रची बसी है। जिस तरह से भगवान सब जगह मौजूद है उसी प्रकार हिंदी भी हमारे कण कण में व्याप्त है।


सुनीता ने अपनी बेटी को समझाते हुए कहा| आओ, तुम्हें मैं एक कविता सुनाऊँ, "जय जय भारत जय जय हिंदी"


हिंदी है भारत की बिंदी। हिंदी है पहचान मेरी,

हिंदी है मातृभाषा मेरी। भावों में घुली है हिंदी

विचारों में मिली है हिंदी। मेरी रगों में बसती है,

मेरी रूह और प्राण है, मेरा कल और आज है,

मेरा गुरुर और अभिमान है। मेरा अस्तित्व इसी से है,

मेरा गर्व भी इसी से है। भारत की आन, बान, शान है,

हिंदी तुझे मेरा शत शत प्रणाम है।


"मम्मी आप तो कमाल हो" सोना ने अपनी माँ को गले लगा लिया और बोली "जिस तरह से भारत की बेटी हिंदी है उसी तरह से आपकी यह बेटी आज से हिंदी में ही बात करेगी। आपकी पहचान ही आज से मेरी पहचान है।"


सुनीता ने हँसकर अपनी बेटी को अपनी बाहों में भर लिया और एक चुम्बन माथे पर दिया।



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