Vinod kumar Jogi

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मेहनत का मोल

मेहनत का मोल

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श्याम जो कि एक कर्मठ किसान था, सब्जी बाजार में सब्जियाँ बेच रहा था। बड़े दूर दराज गांव से आया था साथ ही भरी दुपहरी की तेज धूप से मोती रूपी स्वेद उसके तन से निर्क्षर बह रही थी।

        किसी तरह वह सारी सब्जियाँ बेचकर घर लौटना चाहता था, क्योंकि लौटते वक्त उसे बच्चों के लिए सामान भी लेना था। तभी एक युवक ग्राहक के रूप में आया, उसने पूछा "भैया मूली कैसे दिए।" श्याम ने तपाक से जवाब दिया "चालीस रूपए किलो।" इसपर वह युवक जो पहनावे से तो धनी लग रहा था, परन्तु मन की ग़रीबी प्रदर्शित करते हुए कहा "क्या भैया इतना महँगा लगा रहे हो।" श्याम ने कहा "नहीं भाई सभी सब्जी वाले इसी दाम में बेच रहे हैं।" उसने जवाब देते हुए कहा "मगर उन्होंने उसे खरीदकर लाया है, और यह तो‌ फिर भी आपके घर की खेती है।" इतना कहते हुए वह युवक आगे बढ़ गया, मगर श्याम के मन में एक प्रश्न छोड़ गया कि "क्या किसान की मेहनत का कोई मोल नहीं है?".....



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