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Ashish Singh

Others

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Ashish Singh

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मौन

मौन

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हमने वो सारे एहसासों और ख्वाबों को अपने मन के भीतर दबा दिया।

जाने देना कौन चाहता उन्हें जिन्हें हमने खुद से ऊपर रखा। लेकिन वक्त की बंदिशे शायद यही चाहती थीं, हम मौन खड़े होकर कारवां को गुजरते देखते रहूं।

उनख्वाबो को पूरा न होते हुए देखता रहूं।

शायद 

..... मौन बेहतर हैं


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