Gulafshan Neyaz

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4.7  

Gulafshan Neyaz

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माँ

माँ

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आज दिल बहुत उदास था। मेरा बी एस सी का फाइनल ईयर कम्पलीट नहीं हो पायाक्योंकि एग्जाम से कुछ दिन पहले ही माँ बनी थी। डिलीवरी आपरेशन से हुआ इस चक्कर में एग्जाम मिस हो गया । छोटा बच्चा ऊपर से ट्रेवल और सही ढंग से पढ़ाई भी नहीं हो पाई।


मैंने मन ही मन सोचा क्या फ़ायदा इतना मेहनत से पढ़ाई करके , जब फाइनल ही कम्पलीट नहीं हुआ। मेरी माँ मेरी उदासी को समझ गई । उन्होंने मुझे समझया, "अभी नहीं हुआ तो क्या हुआ? तुम फिर से मेहनत करना और दुबारा एग्जाम देना ।" मैंने कहा "अब ये इतना आसान नहीं है छोटा बच्चा घर की जिम्मेदारी अब नहीं हो पाएगा। "


माँ ने कहा "अपने बच्चे को अपनी कमजोरी नहीं अपनी ताकत बनाओ ,एक औरत हार मान सकती है पर एक माँ हार नहीं मान सकती । अगर तुमने दुबारा एग्जाम नहीं दिया तो तुम्हें हमेशा अफ़सोस रहेगा कि, काश! एक मौका और मिला होता।" मैंने माँ की बात को ध्यान से सुना । और मैंने दुबारा पढ़ाई की। मुश्किल तो बहुत हुई पर मेरी माँ ने मेरा हौसला बनाए रखा और मुझे हार नहीं मानने दी । मैंने एग्जाम भी दिया और अच्छे नंबर से पास भी हो गई।

शुक्रिया माँ आप अनमोल हो।



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