कैसे तोड़ दूं

कैसे तोड़ दूं

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"क्या बात है वसु ,,,,,, बड़ी उदास लग रही हो ,,,,, समथिंग रोंग विद यू ? मैं कई दिनों से देख रहा हूं , तुम कुछ उखड़ी-उखड़ी , बुझी-बुझी ही रहती हो , आज कल तुम्हारे काम में भी गलतियां होने लगी है ,,,,, कल की बेलेंस शीट में भी बराबर टेली नहीं हो रहा था !"

"सौरी सौरभ ,,,,, लाओ , मैं देख लेती हूं।" "इसकी जरूरत नहीं , मैंने ठीक कर लिया है , लेकिन ,,,, आख़िर बात क्या है ? तुम तो अपने काम में हमेशा परफेक्ट रही हो ,,,,, किसी को कुछ भी प्रोब्लम होती तो तेरे आगे-पीछे रहता ,,,,, अभी लास्ट वीक शीना ने तुमसे कुछ पूछा था उसे बेलेंस शीट बनाने में प्रोब्लम हो रही थी पर तूने उसे भी ठीक से नहीं बताया।"

" अगेन सौरी सर।"

" ये क्या ,,,,, हमारे बीच में सर कहां से आ गया ? मैं एज अ बाॅस बात नहीं कर रहा बल्कि एज अ फ्रेंड ,,,,,, तुम्हारी चिंता है यार ! प्लीज़ वसु ,,,,, संजय के साथ तो सब ठीक चल रहा है ? यार ,जो भी परेशानी हो शेयर करो ।"

"परेशानी कुछ नहीं है और है भी।"

 "ये क्या बात हुई ?"

"तुम्हें तो इतना ही पता है - मेरे बचपन में ही मां चल बसी थी जब मैं तीन साल की थी।मुझे भी इतना ही मालूम था ! महीना भर पहले मुम्बई घूमने मेरी मासी आई थी , तब उन्होंने सब बताया - मेरा जन्म तेलंगाना के महेश्वरम गांव ,,,,, में हुआ था , मां से एक साल पहले मेरे दोनों बड़े भाई तालाब में डूब गए थे , छ साल का ऋषि , आठ साल का जय ,,,, गली के बच्चों के साथ कब गए पता ही नहीं चला और जब पता चला तब बहुत देर हो चुकी थी ! मां के जाने के बाद तो पापा एकदम टूट गए थे मुझे लेकर यहां आ गए । जब मैंने मासी से सब सुना तो पापा से पूछा ,,,, क्या सच में पापा ? मुझे एक बार देखना है , अपना वो घर ,,,, गांव ,,,,, चलेंगे ? तो पापा उदास होकर बोले - ठीक है बेटा लेकिन जिस जगह ने मेरा सबकुछ छीन लिया ,,,, तेरी मासी ने यह नहीं बताया कि पहले भी तो महामारी ने मुझे दस साल की उम्र में अनाथ कर दिया था , मेरी बुआ , मेरे चाचा-चाची ,,,सभी तो महामारी की चपेट में आ गए थे ! मेरा कोई नहीं था , लोगों के खेतों में , दुकानों में मजदूरी की , लोगों की जूठन खाकर बड़ा हुआ ,,,,, लेकिन बाद में भी ,,,,,, नहीं - नहीं,,,, तू उस जगह का नाम नहीं लेगी और ना ही कभी जाएगी ,,,, जाने का सोचा भी तो मेरा मरा मुंह देखेगी ,,,, अब तुझे खोने की ताकत मुझमें नहीं है कहते-कहते फूट-फूटकर रो पड़े मुझे अपनी बाहों में भरकर।

        जब से जाना है ,,,,,,, बस ,,,, तब से अपने पापा के लिए बहुत दुखी हूं , उन्होंने कितने प्यार से पाला , कभी मां की कमी महसूस नहीं होने ,,,,, कभी ख्याल भी नहीं आया कि मेरी मां नहीं है ,,,,, ऐसे पिता के लिए मैं कुछ नहीं कर पा रही हूं साथ ही अपना जन्म स्थान देखने की इच्छा भी बहुत है पर कभी नहीं जा पाऊंगी ,,,,, भला अपने पापा की कसम कैसे तोड़ दूं जो मेरी मां भी है।बस ,,,,,, सौरभ ,,,,, थोड़ी डिस्टर्बड हूं।" 

"डोंट वरी नाउ यूं विल बी फाइन।"

"हां ,,,,, तुमसे शेयर करने के बाद हल्का फील कर रही हूं ,,,, थैंक्यू।"

                               



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