Gulafshan Neyaz

Others

5.0  

Gulafshan Neyaz

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ज्योतिष

ज्योतिष

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मई का महीना था। मैं दसवीं का इम्तिहान देकर गाँव छुट्टी में आई थी

मेरे साथ मेरे मामा की बेटी भी थी। हम दोनों मे गहरा लगाव था। मेरे दरवाज़े पर जामुन का पेड़ था हमारा घर अलबेस्टस का था। जब धूप कड़ी निकलती तो पूरा घर में ऐसा लगता जैसे आग बरस रहा हो। हम लोग जामुन की छाँव में बैठते

वो एक तरह से हमारा अड्डा था। हम लोग शाम की चाय भी उसी पेड़ के नीचे पीते वहाँ पर अगल बगल लड़कियाँ और महिला आकर बैठती दुनिया दारी वाली बातें पास पड़ोस की चुगली कुछ लड़कियों उसी पेड़ की छाँव में चादर पर कसीदा करी भी करती। हम लोग उसी पेड़ के नीचे बैठकर कभी लूडो तो कभी गोटी खेलते और उसके डाल पर मोटी रस्सी डाल कर झूले का आनंद लेते गर्मी के समय वो जामुन का पेड़ हमारा दूसरा घर होता जब ठंडी हवा चलती तो पूरी डाली झूम जाती और कुछ सूखे पत्ते हमारे ऊपर गिर जाते जिसे वहाँ पर बैठी औरते या बच्चे जलावन के लिए जमा कर लेते

एक दिन गर्मी बहुत तेज़ थी। धूप भी बहुत ज्यादा थी, हवाएँ बहुत गर्म चल रही थी, मैं और मेरी बहन माँ सब जामुन के निचे बैठे थे आज जामुन के पेड़ के नीचे भी राहत नहीं थी पर घर से अच्छा था

घर तो ऐसा धिका हुआ था जैसे गर्म तवा हो, जो अभी चूल्हा से उतरा हो मैंने निम्बू तोड़ा सोचा की गर्मी से राहत पाने के लिए थोड़ा शरबत ही बना लिया जाए मैं जग में चीनी मिलाने के लिए जग में चम्मच हिला ही रही थी तभी मेरे कानों में किसी की आवाज़ गई, भगवान के नाम पर कुछ दे दो मैंने पीछे मूड़ कर देखा तो एक ज्योतिष था। वो भी कुछ देर सुस्ताने के लिए जामुन के पेड़ के नीचे बैठ गए उन्होंने सफ़ेद धोती कुरता पाँव मैं प्लास्टिक के चप्पल गले में पीला गमछा और मांग पर चन्दन का लेप था, कद काठी के पतले दुबले थे साथ में एक गठरी थी माँ जब तक घर के अंदर अनाज लाने गई। तो मुझे और मेरी बहन को अपना भविष्य जानने की तीव्र इच्छा हुई, मुझे तो ख़ासकर अपना रिजल्ट जानने का मैं उनके सामने अपनी हथेली फैला कर बैठ गई। मैंने कहा मुझे मेरे भविष्य के बारे में बताइये। तो वो हँसते होए बोले तुम लोग तो इन बातों को नहीं मानते, मैंने कहा पहले बताइये तो सही उसके बाद ही पता चलेगा की आपकी कितनी बातें सही हैं तब तक माँ भी अनाज लेकर आ गई माँ ने भी हँसते हुए मेरी हाँ मे हाँ मिलाया, तो ज्योतिष बोले के मैं हाथ नहीं मांग की रेखा देखकर ही बता सकता हूँ तब सब ने कहा पहले कहा मैंने कहा नहीं सबसे पहले मैं मैंने कहा मुझे अपना भविष्य नहीं जानना बस इतना बताइये की मैं मेट्रिक मे पास तो कर जाऊँगी ना। तो उन्होंने हाँ में सर हिलाया तो मेरी माँ ने कहा नहीं मुझे मेरी बेटी का नसीब जानना हैं उसको कैसा घर वर मिलेगा वो हँसते हुए बोली तो मैं थोड़ा चिढ़ गई अम्मी आपको ये शादी के अलावा कुछ सूझता भी हैं। तो अम्मी बोली मैं चाहती हूँ मेरी बेटी को अच्छा घर मिले अच्छा शौहर मिले जो उसे इज़्ज़त दे तो ज्योतिष माहराज हँसते हुए बोले इनकी ज़िन्दगी में यहाँ से अनेक कठिनाई हैं सफलता की सीढ़ी चढ़ते हुए अचानक गिरेगी फिर सफल होंगी उसके बाद भी कई कठिनाई आयेंगी। घर और वर दोनों अच्छा मिलेगा लड़का विदेशी होगा जब भी आयेगी अपने गाड़ी से आयेगी या सब सुनकर सब हँसने लगे और मुझे चिढ़ाने लगे लड़का घर मैं सबसे छोटा होगा और भी बहुत सारी बातें उन्होंने कही। अम्मी बोली अगर आपकी बातें सही हुई तो मैं आपको धोती कुरता दूंगी वो मुस्कुराते हुए भिक्षा लिए और चलते बने, उसके बाद मेरे मेट्रिक का रिजल्ट आया और मैंने पूरे स्कूल मैं टॉप किया पर मैं इंटर मैं फेल हो गई जो मैंने सपने मैं भी नहीं सोचा था। उसके बाद मैंने दोबारा एग्जाम दिया और पास हो गई सच में लाइफ मरीं बहुत सारी प्रॉब्लम हुई पर मैं आगे बढ़ती गई फाइनली मेरी शादी हो गई, मेरे हस्बैंड घर मैं सबसे छोटे हैं और सऊदी रहते हैं और मेरे पास सच मैं अपनी गाड़ी हैं जिस से मैं आती जाती हूँ

आज मैं अपने गाड़ी से माँ के घर आई तो बातों ही बातों मैं माँ को वो ज्योतिष याद आया उसके बाद वो ज्योतिष मेरे यहाँ कभी नहीं आए। मैं पढ़ी लिखी हूँ इन सब बातों पर विश्वास नहीं करती 


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