जुल्फों की छाँव 2
जुल्फों की छाँव 2
वो बैठी उन उड़ते हुए बालों को देख रही थी।आँखो से, आंसू बह रहे थे।आज आँगन में चांद की रौशनी फैली थी, मीरा ने चांद की तरफ देखा ,उसे अजीब घबराहट मह्सूस हुई ।उसने जल्दी से आँखे बन्द कर ली।मीरा अपने माँ बाप की इकलौती औलाद थी।अपने पापा की जान और माँ की आँखो की तारा।मीरा बहुत ही अमीर घर की लड़की थी।मीरा के आगे पीछे ढेरों नौकर-चाकर घूमते ,"उठो बेटा आज तुम्हारे कॉलेज का पहला दिन है ।आज ही लेट होना है क्या ?"
"मॉम बस दो मिनट और।"
" उठ जा मेरे बच्चे, देखो मैनें तुम्हारे लिए क्या बनाया है।" मीरा की मॉम ने विन्डो का पर्दा खिंचते हुए कहा।पूरी धूप बिस्तर पर आ गाई ।मीरा ने अजीब सा मुंह बनाते हुए कहा "मॉम आप भी ना।"
"अब उठो भी ,नहा लो, मैं तुम्हारा नाश्ता लगाती हूं।आज मैनें अपने बच्चे का फ़ेवरिट आलू का पराठा और पुदीना की चटनी बनाई है।"
मीरा तौलिया लेकर बाथरूम की तरफ बढ़ गई।"अरे मीरा तुम आ गई? डाइनिंग पर बैठो, मैं नाश्ता लाती हूं।" माम ने एक नज़र मीरा को देखा "वाह मेरी बच्ची कितनी सुन्दर लग रही है।आओ काला टिक्का लगा दो किसी की नज़र ना लगे।"
"माँ ,आप भी ना "
"अरे इतनी जल्दी हो गया? तुमने तो खाया ही नहीं!"
"मॉम ,मैं मोटी होना नहीं चाहती।
कहां मोटी हो ?इतना खाओगी तो कमजोर हो जाओगी!"
" मॉम मैं चलती हूं, लेट हो जाऊंगी ,बाई मॉम आई लव यू।"
"अरे रुको ,लंच को लो!"
"मॉम कॉलेज में लंच कौन ले जाता है।"
"बेटा ये हैल्दी है।"
" बाई मॉम!"
" अरे मीरा!"
मीरा अठारह साल की एक हसीन लड़की थी।सुंदरता की मालिक, जो एक बार देख ले दिवाना हो बैठे।बाल रेशम जैसे मुलायम और चमकीले, आंखें झील जैसीं, जिसमें कोई भी डूब जाना चाहे रँग दूध और शहद का मिलन ,होंठ गुलाब की पंखुड़ी की तरह कुदरत का खुबसुरत तोहफा। मीरा 12वीं पास कर चुकी थी ।उसका ऐडमिशन इंजीनियरिंग कालेज में हुआ था।वो इंजीनियर बनना चाहती थी।उसका आज कॉलेज का पहला दिन था।वो हड़बड़ाते हुए कार से उतरी।उफ्फ, आज पहला दिन और मैं लेट, वो खुद में बड़बड़ाते हुए उतरी और हड़बड़ाते हुए बिना आगे देखे बढ़ने लगी! अचानक वो किसी से जोर से टकरा गई।आआ उसके मुंह से जोर से अवाज़ निकली।
