जंगल चला शहर होने -5
जंगल चला शहर होने -5
जंगल में चहल पहल बढ़ती जा रही थी। जो थोड़े बहुत जीव जंतु नई नई खाने पीने की चीज़ों की खोज में जंगल से निकल कर शहर की तरफ़ चले गए थे उन्हें भी किसी तरह जंगल में वापस लाने की कवायद शुरू हुई।
इसके दो फ़ायदे थे। एक तो जंगल में रहने वाले पशु पक्षियों की संख्या बढ़ी दूसरे जो शहर से लौट कर आए वो वहां से नई नई चीज़ों के बारे में जानकारी लेकर आए।
अब देखो न, जंगल के रास्ते पर जब सियार और हिरण ने चाट का ठेला लगाया तो आने जाने वाले डॉगी और उनके बच्चे उनसे पूछते - बर्गर है? ज़रा एक पिज़्ज़ा देना। नान के साथ पनीर की ग्रेवी देना। चलो फ़्रेंच फ्राइज़ दे दो।
बेचारे हिरण और सियार उनकी फरमाइश पूरी कैसे करते?
इसका फ़ायदा उठाया बकरी ने। अपनी सहेली लोमड़ी से जाकर मिली और लोमड़ी ने उसे एक बड़े से रेस्त्रां के लिए जगह दिलवा दी। पास ही उसके बेटे ने भी एक कैफे खोल लिया।
अब बकरी के रेस्त्रां में जो मांगो वही हाज़िर। उसने कुछ मेमने काम करने के लिए भी रख लिए। काम खूब चल निकला।
अब बकरी की निगाह हिप्पो सर के स्कूल पर थी। यदि उसे वहां पर भी एक कैंटीन खोलने का ठेका मिल जाए तो मज़ा आ जाए।
एक दिन बकरी हिप्पो जी से मिलने चल दी।