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Prabodh Govil

Children Stories

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Prabodh Govil

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जंगल चला शहर होने -11

जंगल चला शहर होने -11

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जंगल में अभी तक किसी ने कोई भिखारी न देखा था। था ही नहीं। भिखारी तो वहां होते हैं जहां सब अपना खाना छिपाकर रख लें और अन्न जल कम पड़ जाए। जंगल में तो सबका अन्न जल खुले आकाश के नीचे फ़ैला बिखरा पड़ा था। यहां भिखारी का क्या काम?

लेकिन सारे में ये ख़बर फैल गई कि जंगल में भिखारी भी हैं।

पेड़ के नीचे ज़ोर ज़ोर से गर्दन हिला कर दीनता से पुकारते ऊंट ने जब तेज़ी से जाती जेब्रा की जीप को रोका तो जेब्रा ने ज़ोर से ब्रेक लगाया। उसे भारी अचंभा हुआ जब बूढ़े कृशकाय से दिखते ऊंट ने उससे कहा कि उसने तीन दिन से कुछ नहीं खाया है।

भिखारी ऊंट को देख कर जेब्रा का दिल पसीज गया। वह जेब से कुछ रुपए निकाल कर ऊंट को देने ही वाला था कि ऊंट बोल पड़ा - बेटा मुझ भिखारी पर एक अहसान और कर दे, मूषकराज तेरा भला करे। तू मुझे इस जंगल की सीमा तक छोड़ आ, फिर मैं वहां से अपने रेगिस्तान में लौट जाऊंगा। फिर कभी जंगल में नहीं आऊंगा बेटा।

जेब्रा कुछ असमंजस में पड़ा क्योंकि वह अपने भाई के लिए पैट्रोल पम्प खोलने की अनुमति लेने को राजा शेर से मिलने जा रहा था।

पर तभी उसे याद आया कि भूखे को खाना खिलाने और अशक्त की मदद कर देने से उसे जो दुआएं मिलेंगी उनसे शायद उसका काम और भी जल्दी बन जाए।

उसने बूढ़े और बीमार से दिखते ऊंट को जीप में सवार करने में मदद दी और चल पड़ा। वह देखता जाता था कि रास्ते में कोई दुकान दिखे तो इस बूढ़े भिखारी के लिए कुछ खाने- पीने को ख़रीद दे।

ऊंट गर्दन लटका कर बैठ गया।

पेट में कुछ पड़ जाने के बाद जब ऊंट कुछ तरो ताज़ा सा दिखाई दिया तो जेब्रा ने उससे पूछ ही लिया - बाबा, तुमने अभी मुझे कहा कि मूषकराज भला करेंगे, ये मूषकराज कौन हैं?

- अरे बेटा, वो इंसानों के भगवान हैं न गणेश... उनके वाहन मूषकराज हमारे लिए तो देवता जैसे महिमामय ही हुए न! उन्हीं को याद कर रहा था मैं...

अभी बूढ़े ऊंट की बात पूरी भी नहीं हो पाई थी कि हाई वे पर तेज़ी से दौड़ती जेब्रा की जीप को ऐसा लगा जैसे कोई उसका पीछा कर रहा है।

जेब्रा ने पीछे मुड़कर देखा और जीप की रफ़्तार और तेज़ कर दी। वह हवा से बातें करने लगा। वह भला अपने से आगे किसी को क्यों निकल जाने देता। खाली पड़े हाई वे पर दोनों गाड़ियां तूफ़ानी रफ़्तार से भागी चली जा रही थीं।

तभी हवा में गोली चलने की आवाज़ आई। जेब्रा ने पीछे मुड़कर देखा तो उसके होश उड़ गए। पीछे वाली गाड़ी पुलिस की थी।

इतना ही नहीं बल्कि गाड़ी में से एक अफ़सर बारहसिंघा चिल्ला चिल्ला कर कह रहा था - रुक जाओ नहीं तो गोली मार दी जाएगी...

जेब्रा की समझ में कुछ नहीं आया। उसने जीप की रफ़्तार कुछ कम की। किंतु तभी उसने देखा कि बीमार सा दिखने वाला बूढ़ा ऊंट झटपट चलती गाड़ी से कूद गया।

और सामने का दृश्य देख कर तो जेब्रा के रोंगटे ही खड़े हो गए। गिरते ही ऊंट की गर्दन टूट कर एक तरफ़ गिर गई थी और ऊंट की खाल को किसी कंबल की तरह झटक कर फेंकता हुआ भेड़िया किनारे की झाड़ियों में ओझल हो गया।

जेब्रा ने झटके से जीप रोक दी।

पुलिस ने बताया कि मांद महल से रानी साहिबा के गहनों का बक्सा चोरी हो गया है। शक है कि यही भेड़िया उसे लेकर भागा है।

जेब्रा थर थर कांपने लगा। ओह, वह किस खूंखार अपराधी की मदद कर रहा था...!



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