Prabodh Govil

Children Stories

3  

Prabodh Govil

Children Stories

जंगल चला शहर होने -10

जंगल चला शहर होने -10

3 mins
158


कंगारू हाथ में थैला लिए इधर उधर घूम रहा था।

असल में जब वो हेलिकॉप्टर की सैर करने के बाद वापस लौट कर अपने घर पहुंचा तो उसने पत्नी को बताया कि पेंगुइन ने उसे रास्ते में खाने के लिए छः तरह के लड्डू दिए थे।

बस, तभी से उसने ज़िद पकड़ ली थी कि उसे छः तरह के लड्डू बनाने का सामान लाकर दो।

बेचारा कंगारू इसी सामान को खरीदने के लिए बाज़ार में घूम रहा था। उसकी समस्या ये थी कि उसे छः तरह के लड्डू बनाने का सामान पता नहीं था।

रास्ते में जो भी उसे मिलता वह उसी से पूछता कि छः तरह के लड्डू किससे बनते हैं? पर कोई भी अब तक उसे उत्तर नहीं दे पाया था।

जब घूमते- घूमते दोपहर हो गई तब जाकर एक बकरी ने उसे बताया कि छः तरह के लड्डू के लिए सारा सामान उसे ऊदबिलाव की दुकान पर मिलेगा। ऊदबिलाव का सुपरस्टोर कुछ ही दूरी पर था।

कंगारू ने लड्डू बनाने के सारे सामान के साथ- साथ कई तरह के अचार भी वहां से खरीदे। ऊदबिलाव ने उसे समझाया कि अचार लड्डू के साथ मत खाना।

अगले दिन सुबह सुबह मांद महल में राजा शेर और रानी साहिबा बैठे सुबह की चाय पीने के साथ अख़बार पढ़ने का आनंद ले रहे थे तभी सहायिका लोमड़ी ने उन्हें जिराफ़ का निमंत्रण पत्र लाकर दिया।

जिराफ़ जल्दी ही एक नई मॉल खोल रहा था जिसका शुभारंभ वो रानी साहिबा के हाथ से करवाना चाहता था। उसने उनसे मिलने का समय भी मांगा था।

जंगल बहुत तेज़ी से बदल रहा था।

जिराफ़ को मॉल बनाने की अनुमति राजा शेर से मिलते ही उसका काम बहुत तेज़ी से शुरू हो गया। जिराफ़ ने पांच सौ बंदरों को काम पर रख लिया था जिससे काम दिन दूनी रात चौगुनी रफ़्तार से हो रहा था।

बाज़ार में एक दिन कंगारू थैला लेकर क्या घूमा कि बकरी के कैफे की बगल में ही भेड़ ने "छः तरह के लड्डू का सामान" नाम से एक जनरल स्टोर खोल लिया था। अब सूजी, बेसन, बूंदी, नारियल, गोंद और तिल के लड्डू बनाने का सारा सामान भेड़ की दुकान पर एक ही जगह उपलब्ध था।

उधर एक चमत्कार हुआ। मॉल के लिए जिराफ़ को बहुत रुपए की ज़रूरत थी।

संयोग से बर्डीज़ बैंक की चेयरमैन मोरनी और एम डी मैना देवी से उसका संपर्क हुआ तो उन्होंने एक शानदार प्रस्ताव रख दिया। उनका कहना था कि वो जिराफ़ को मॉल के लिए जितना भी रुपया चाहिए, सस्ती दर के लोन के रूप में देंगी, बदले में उन्हें मॉल में उनके बैंक के मुख्य कार्यालय के लिए पूरी एक मंज़िल बना कर देनी होगी। जिराफ़ ने इसके लिए करार कर लिया। आखिर भारी- भरकम किराया भी तो बैंक से मिलने वाला था। लिहाज़ा अब रुपए की कोई दिक्कत न रही और काम ज़ोरदार तरीके से चल निकला।

चारों तरफ विकास के बेशुमार कामों के चलते जंगल में कामगारों की भारी कमी हो गई थी और स्कूल के बच्चे तक पार्टटाइम जॉब करके रुपया कमाने लगे थे। जो भी आता फौरन काम पा जाता।

लेकिन एक घटना ऐसी घटी जिसने सबको चौकन्ना कर दिया।


Rate this content
Log in