जैसी करनी वैसी भरनी
जैसी करनी वैसी भरनी
अजय अपने पिता के पास जाकर बोला ये चेक बुक में हस्ताक्षर कर दीजिये मुझे व्यापार करना है.. महेश भाई अवाक बनकर देखने लगे..
अजय ने जोर से दरवाजे पे हाथ मारा और चिल्लाकर कहा एक बार बोलता हूँ समझते नहीं हो ये सब रुपए लेकर जायेंगे ऊपर क्या???
महेश भाई बेड से खड़े हो नहीं पा रहे थे एक सप्ताह पहले लकवाग्रस्त हो गये थे.... पत्नी का दस साल पहले देहांत हो गया था..
अजय के चिल्लाने से डरकर चेक बुक में कांपते हाथों से हस्ताक्षर कर दिया और अजय के जाने के बाद अपने पिता से दिल की भावना से माफी मांगने लगे और बोले *जैसी करनी वैसी भरनी* इसे ही कहते हैं पिता जी.... मैंने तुम्हारे साथ किया वोही आज अजय ने मेरे साथ किया ये बोलते फूट-फूटकर रोने लगे...
