जैसी करनी-वैसी भरनी
जैसी करनी-वैसी भरनी
जैसे-जैसे दशहरा नजदीक आ रहा है लोगों में उत्सव का सुरूर गहराता जा रहा है।आज मां की षष्टी पूजा है। आज ही मां अपनी वेदी पर विराजमान होगी इसलिए संध्या वेला से ही मंदिर के आस -पास श्रद्धालुओं एवं दर्शनार्थियों की बड़ी तादाद में भीड़ इकट्ठा होने लगी है।सुबह से ही विभिन्न वस्तुओं की दुकानें भी लगनी शुरू हो गयी हैं। मंदिर कैंपस के बाहर सड़क के दोनों तरफ कतारों में अस्थायी छोटी-छोटी दुकानें लग चुकी हैं--जैसे चाउमिन,चाट,भेलपुरी, पानीपुरी, खिलौनों आदि की ठेले और टेंट वाली दुकानें। मंदिर के सामने एक-दो दुकानें मां के लिए धूप-दीप और चढ़ावे के लिए भी लगी थीं।
धार्मिक दृष्टिकोण से हिन्दुओं का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार होने के नाते अत्यधिक भीड़-भाड़ होना तो लाजिमी था इसलिए प्रशासन की व्यवस्था भी दुरुस्त थी । दर्जनों जिला पुलिस फोर्स की तैनाती मंदिर परिसर और उसके ईर्द-गिर्द कर दी गयी थी ताकि कोई असामाजिक तत्व अपनी गलत कारगुजारी ना कर सके। लाउडस्पीकर से निरंतर मंदिर के कार्यकर्ता द्वारा ये घोषणा भी किया जा रहा था कि कृपया श्रद्धालुगण शांतिपूर्वक माता का दर्शण करें और पूजा एवं आरती का आनंद लें।किसी के भी साथ किसी प्रकार का कोई ग़लत आचरण ना करें अन्यथा पकड़े जाने पर उसके साथ निश्चित रूप से प्रशासनिक कार्यवाही की जाएगी।
समय बीत रहा था।श्रद्धालुओं की भीड़ अधिक से अधिक की संख्या में जमा हो चुकी थी। मंदिर के पारंपरिक समयानुसार अब आरती शुरू ही होने वाली थी। नगाड़े वाले आ चुके थे । पंडित जी भी गर्भ गृह में पधार चुके थे। लाउडस्पीकर से आरती आरंभ होने की घोषण होने लगी। ठीक इसी क्षण मंदिर के सामने वाली सड़क के दूसरी तरफ भारी हो-हल्ला और भगदड़ होने लगी। आरती में विघ्न ना पड़े इसलिए पुलिस कर्मी वहां तुरंत पहुंचे और हालात का जायजा लिया।
हुआ यह था कि कुछ लफंगे किस्म के युवक एक चाट वाले दुकानदार से उलझ पड़े थे। उन्होंने चाट वाले दुकानदार से जमकर चाट-छोले खाये और पैसे देने से मना करने लगे। सोचा अकेला दुकानदार क्या कर पायेगा। दुकानदार ने पहले तो मिन्नत की अपने बाल-बच्चों की दुहाई दी पर वे नहीं माने।बात दस-बीस रुपये की होती तो छोड़ भी देते पर उन चार लफंगों ने मिलकर पूरे सौ रुपये के चाट-छोले का लिए थे। दुकानदार से बर्दाश्त नहीं हुआ और बगल में पड़े एक बल्ली उठाकर चारों को पीट डाला।उसे बल्ली घुमाता देख डर के मारे बीच-बचाव करने भी कोई नहीं आया। अंततः पुलिस कर्मियों ने ही आकर वस्तुस्थिति समझकर मामला संभाला और यह कहते हुए उन चारों बदमाशों को पकड़ा---"जैसी करनी-वैसी भरनी।"