घमंड
घमंड
एक गेहूं का खेत था उसके बगल में ही बहुत पुराना बरगद का पेड़ था ,जिसकी घनी छाया में बैठ कर किसान दोपहर को भोजन करके विश्राम करते थे।इस पेड़ पर बहुत से पक्षियों का आशियाना भी था ।इस पर एक घमंडी कौआ भी रहता जो अपने को बहुत होशियार समझता था,और हर किसी का मजाक उड़ाता था। साथ ही अपने को बहुत सुन्दर समझता था।गेहूं की बालियाँ पक चुकी थीं ,सारा खेत धूप में सोने सा चमकता था ,किसान गेहूं काट कर घर ला रहे थे।कुछ दाने नीचे भी गिर रहे थे और उसे पैरों तले कुचल कर आगे बढ़ रहे थे।यह देख कर कौआ उन दानों का मजाक उडाते हुए बोला--"क्या किस्मत है तुम्हारी ,पैरों से कुचले जा रहे हो ! कीड़े-मकौड़ों के जैसे। मुझे पैर तो बड़ी दूर की बात है, कोई हाथ भी नही लगा सकता! दाने दुखी हए पर मन मसोस कर रह गए।शाम होते होते मौसम खराब होने लगा तेज आंधी और तेज हवाओं के साथ तूफान आया।पुराना बरगद का पेड़ न सह सका और जड़ से उखड़ कर धड़ाम से गिर पड़ा।वह कौआ भी उन्हीं कुचले हुए दानों पर अन्तिम सांसे ले रहा थाI
