Anant Vijai

Children Stories Drama Inspirational

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Anant Vijai

Children Stories Drama Inspirational

द्युत

द्युत

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मोहित कोई अच्छा बैट्समैन नही था। हाँ, अव्वल दर्जे का बॉलर ज़रूर था। लेकिन कभी-कभी अपनी टीम की लड़खड़ाती बैटिंग संभाल लिया करता था। वैसे ऐसी नोबत ज़रूरत के हिसाब से ज़रूरत पड़ने पर ही आती थी कि मोहित 4-5 ऑवर पिच पर टिक जाए और हारे हुए मैच को रोमांचक जीत में तब्दील कर दे। 

‛ज़रूरत के हिसाब से', समझे नही? कोई बात नही। खेल संबंधी नियम और बीते मैच की हाइलाइट देखकर आप असालतन समझ जाएंगे।

हाइलाइट’             

नहीं-नहीं, देखिये यहाँ ऐसा बिल्कुल नहीं है जैसा आप सोच रहे हैं। ये कोई मैदान नहीं है। बल्कि जमीन में धसी सूखे पानी की तालाब है। मैच शुरू होने से पहले यहाँ की बीहड़ पिच को लीटरों पानी से समतल किया जाता है। टॉस के लिए सिक्कों की यहाँ कोई ज़रूरत नही होती जब तक तालाबी जमीन पर चितला दो विभिन्न ‛आसार’ दर्शाने वाला कागज का कोई टुकड़ा नही मिल जाता। इन लड़कों के लिए यही हेड-टेल है; यही चित-पट है और यही ‛शेर-बक’ है।

कुछ अहम शर्तों का रुख यहाँ से दो भागों में विभाजित होता है।

पहला-यदि मैच किसी विपक्षीय टीम के साथ नहीं है तो टीम के लड़के मनमाफ़िक आपस में भीड़ जाते हैं। जबकि खिलाड़ियों के इन्तिख़ाब हेतू टॉस जितने वाले कैप्टन की सबसे पहली चॉइस ‛मोहित’ होता है।

दूसरा- यदि मैच किसी विपक्ष टीम के बीच खेला जाता है तो कैप्टेंसी टीम के सबसे अव्वल बैट्समैन 'यश' के हाथों होगी। वो बात अलग थी कि मैच की सभी क्रिटिकल और अनक्रिटिकल सिचुएशन का मुआयना ‛मोहित’ ही करेगा। साफ तौर पर कहा जाए तो मोहित अपनी टीम का ‛धोनी’ है, जबकि यश अपनी टीम का ‛विराट कोहली’।

आज का मैच मोहल्ले के शुरुआती छोर और आखिरी छोर के बीच के लड़कों का है। यानी मैच में गंभीरता की भरपूर मात्रा दिखेगी। कहीं-न-कहीं इसकी भी दो ही वजह है।

पहली-चूँकि मोहल्ले के शुरुआती छोर और अंतिम छोर के लड़कों का विवाद काटें की टक्कर पर होता है इसलिए ये मैच किसी इंडिया-पाकिस्तान के मैच से कम नही होने वाला।

दूसरा-यह मैच 10,000₹ की शर्त पर फिक्स है यानी जो भी टीम मैच जीतेगी उसे 10,000₹ का मुफ़्त मुनाफा मिलेगा।

अब चूँकि मोहित ने अपनी टीम के सामने ज़बरदस्त प्रस्ताव रखा था। इसलिए टीम के नजरिये से यह जीत मुनाफे का सौदा साबित हो सकती थी। क्या है कि पिच का बीहड़ होने वजह से बहुत बार ऐसा हुआ है कि यश की टीम संभावित जीते हुए मैच हारी है। इसलिए मोहित ने इस बार सोच लिया, कि ‛देव प्रकाश’ स्टेडियम की सालाना फीस(10,000) भरेंगे और एक साल ज़बरदस्त खेलकर अच्छे पैसे कमाएंगे।

 परिणाम से पूर्व लक्ष्य पर जीत या हार सिर्फ और सिर्फ कल्पना मात्र विषय है। लक्ष्य को जीता हुआ या हारा हुआ तब तक नही समझा जा सकता जब तक आप उसे परिश्रम या ठल्लेपन के बल पर एक अंजाम तक नही पहुँचा देते। तत्पश्चात आप अपनी जीत या हार को सुनिश्चित कर पाएंगे।

जबकि टीम ‛यश’ इस मैच को खेले बिना ही अपनी जीत की मुहर लगा बैठी है। पर मसला यह भी तो है कि ज़िन्दगी सब कुछ खुद के हिसाब से सोचा हुआ मुमकिन करने की इजाज़त नही देती। जैसा कि हुआ भी...।

आज के इस खास मैच में टीम ‛यश’ के एम.एस.(मोहित) तालाब से लापता हैं। कारणवश टीम की जान हलक में आ उतरी है। टीम के नज़िरए से इस बदनसीबी की वजह मोहित के माता-पिता है। जिन्होंने छमाई परीक्षा करीब होने के कारण मोहित को घर ही रोक दिया। टॉस विपक्ष टीम जीत चुकी है और पहले बैटिंग करने का फैसला किया है। टीम ‛यश’ इस सदमें से उभर नही पा रही है-कि आज पहला ऑवर मोहित की गैर-हाजिरी में कौन करेगा। हालाँकि मोहित को एक नवागत लड़के ने रिप्लेस कर दिया है। लेकिन इसका कितना फायदा या कितना नुकसान टीम ‛यश’ उठाएगी, ये कुछ समय बाद पता चल चुका होगा। टीम के नज़रिये से अब सब कुछ राम-भरोसे है।

‛टीम दिपांकर’              

आठ ऑवर/अस्सी रन/नो विकेट - साफ तौर पर कहा जाए तो एक अच्छा खासा मैच विनिंग स्कोर। 

‛टीम यश’

सात ऑवर/चौंसठ रन/दो विकेट।

टीम यश के दृष्टिकोण से हारते मैच के अंतिम ऑवर की पहली बॉल स्कोर बोर्ड पर दर्ज होने ही वाली थी। तभी इत्तिफ़ाक़न तालाब में मोहित आता दिखाई दिया। यह जानते हुए, कि अब मोहित का आना महज़ एक औपचारिकता है। टीम ऐस खिल-खिलायी जैसे मोहित की आउट-स्विंग पर कैच लपकने का जश्न। टीम ‛दिपांकर’ के कैप्टन ने मोहित की गेंदबाजी को मद्देनजर रखते हुए उसे अपनी टीम में वापसी करके बैटिंग करने की रजामंदी दे दी-

सचिन तेंदुलकर बुमराह वाली यॉर्कर डालेंगे?

फिर गेंदबाज़-मोहित बैटिंग कर पायेगा? बस इसी बात का तो फ़ायदा टीम ‛दीपांकर’ के कैप्टन ने उठाना चाहा।

हालाँकि कुछ रिकॉर्ड अविश्वसनीय बनते हैं, इतने अविश्वसनीय, जिनकी बदौलत हमे ताउम्र एक निराली प्रसिद्धि मिल जाती है। यहाँ ऐसा माहौल बनना तब शुरू होता है, जब गेंदबाज़ मोहित तीन बॉल पर 2 छक्कों की मदद से कुल 16 रनों से 12 रनों का सफाया कर देता है।

 सुना है- क्रिकेट खेल में दिन अगर आपका हो,तो पिद्दी सी बॉल भी फुटबॉल की तरह दिखाई देने लगती है और मेरे नज़िरए से यहाँ पिछले दो मिनटों में कुछ ऐसा ही हुआ था। कन्फर्म तब हुआ जब तीसरी यॉर्कर को मोहित ने फुलटॉस बनाकर तालाब के पार वाले नाले पर लैंड किया। 

 इस धुँआधार करिश्माई पारी से मिलीे ऐतिहासिक जीत ने मोहित को इस तलाबी खेल का तानाशाह बना दिया। टीम यश ने दौड़ते मोहित का पीछा ठीक वैसे ही किया, जैसे किसी सेलिब्रिटी का किसी गली से गुजरने पर प्रसंशकों की दौड़ती कतार। लेकिन यहाँ मोहित और उसकी टीम के दौड़ने की वजह जीत का जश्न नही था बल्कि जीत की शर्त पर मिले वो 10,000₹ थे, जिसे वो यश के हाथों से छीनकर रफू-चक्कर हुआ था। इस घटना के आधे घण्टे बाद यश के मोबाइल पर मोहित का मैसज आया, लिखा था-

 "शाम 7 बजे पटरी वाले टी-स्टॉल पर टीम के साथ मिल।"

7:00pm- टी स्टॉल  

"अबे चूतिये! 10,000 व्रद्ध आश्रम को दान करने की क्या ज़रूरत थी? अब स्टेडियम की फीस कैसे भरेंगे?”( यश ने हैरत से पूछा)

मोहित-"पापा की वजह से।" कहते हुए मोहित ने अपना फॉन निकालकर टीम को एक रिकॉर्डिंग सुनाई। जिसमें मोहित और उसके पिताजी का आपसी आलाप था। सर्वप्रथम वॉइस नॉट पर मोहित के पिताजी को सुना गया-“अरे खेल भी तो एक विद्या है। हर किसी के नसीब नही होती और तुम चले 10,000₹ की शर्त लगाकर इसे ‛द्यूत’(जुआ) बनाने। देखो,अगर क्रिकेट को ही करियर बनाना चाहते है तो मेहनत करके कम से कम स्टे्ट लेवल खेलो। नहीं तो खेल को गोरखधंधा मत बनाओ, समझे।”

गुस्से के इर्द-गिर्द घूमते पिताजी के क़ाज़ी लफ़्ज़ झेलने के बाद टीम के लड़के बारी-बारी एक-दूसरे की उतरी शक्ल देख रहे थे। इस रिकॉर्डिंग ने सभी के दिल-ओ-दिमाग़ को कुरेदकर रख दिया।अन्ततः टीम के लड़कों ने अपनी-अपनी नई राह चुन ली। जिसमें सिर्फ और सिर्फ क्रिकेट और मोहित के पिताजी केे उसूल विद्यमान थे।


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