दिल है छोटा सा छोटी सी आशा
दिल है छोटा सा छोटी सी आशा
ओमप्रकाश के घर से आधी रात को किसी के ज़ोर ज़ोर से रोने की आवाज़ आई । जिसे सुनकर आसपास के घरों की लाइटें जल गई ।सब उनके घर की तरफ़ देखने के लिए भागे कि क्या हो गया है । वहाँ पहुँच कर पता चला कि ओमप्रकाश के घर फिर से लड़की का जन्म हुआ है । उनकी माँ पार्वती दहाड़ें मारकर रो रही थी कि उनकी ही ज़िद थी कि पोता हो । पोते की आस में फिर लड़की हो गई है । यह सुनकर सब वापस घर चले गए । बुरा सबको लग रहा था पर होनी को कौन टाल सकता था ।
आँध्र प्रदेश के एक छोटे से गाँव पुत्तूर में ओमप्रकाश अपनी पत्नी , माँ और बच्चों के साथ रहते थे । लड़की पैदा करने के जुर्म में सविता को सास ने खाना नहीं दिया और पति बच्ची को देखने तक के लिए नहीं आया । पड़ोस में रहने वाली सविता की सहेली ही चुपके से उसके लिए खाना लाकर देती थी । किसी तरह तानों के साथ सविता की ज़िंदगी गुज़र रही थी । एक एक कर अठारह साल की उम्र में ही ओमप्रकाश ने अपनी दो बच्चियों का ब्याह करा दिया । दो साल बाद सविता फिर से प्रेगनेंट हुई गाँव के बड़े बुजुर्गों ने कहा एक आख़िरी बार देख ले शायद लड़का ही हो जाएगा । अब ईश्वर की कृपा ओमप्रकाश पर पड़ी और उसका छठवाँ बेटा हुआ । सम्राट लाडला दुलारा माँ बाप दादी के आँखों का तारा । उसकी पसंद का खाना पकता उसकी ही पसंद की सब्ज़ी बनती । वाणी उससे दो साल ही बड़ी थी इसलिए उसे बहुत बुरा लगता था कि सम्राट हर माँग पूरी होती थी । अगर वाणी के मुँह से कुछ निकलता था तो पिता घर में भूचाल ला देते थे कि इतनी लड़कियों को खाना कपड़े देना इससे ज़िम्मेदारी ख़त्म नहीं हो जाती है शादियाँ भी तो करना है । वाणी के स्कूल में जब भी किसी का जन्मदिन होता था वे सबको चॉकलेट बाँटते थे सब मिलकर उनके लिए हेपी बर्थडे गाते थे पर वाणी ने अपना जन्मदिन कभी नहीं मनाया एक बार जब वह छोटी थी उसने स्कूल से आकर कहा था कि मैं भी अपने जन्मदिन पर चॉकलेट बाँटूँगी बस उस दिन जो तमाशा घर में हुआ उसके बाद उसने जन्मदिन का नाम भी घर में नहीं लिया । वाणी बारहवीं कक्षा में पढ़ती थी ।उसकी सिर्फ़ चार सहेलियाँ ही थी ।वे सब अपने घर में एक या दो ही बच्चे थे ।इसलिए उनके माता-पिता उनकी इच्छाओं को पूरा करते थे ।वे अपने जन्मदिन पर कैंटीन में समोसे खिलातीं थी । वाणी उन्हें विष करती थी और बिना उनके साथ कैंटीन में मिले घर आ जाती थी । एक बार उसकी पक्की सहेली सरला ने भी कारण जानने की कोशिश की परंतु वाणी ने कुछ नहीं बताया । ऐसे ही दिन साल गुजरते गए और वाणी अठारह साल की हो गई । उस दिन वाणी का जन्मदिन था ।उसने शैंपू किया और बाल सुखा रही थी कि सरला को आते देखा आते ही उसने कहा चल मेरे घर मेरे माँ पिताजी बाहर गए हैं ।हम दोनों बहनें ही हैं मस्ती करते हैं आधे घंटे में वापस आ जाना ।वाणी माँ से पूछती इससे पहले पिता जी बाहर से आते दिखे वाणी के कुछ कहने से पहले ही सरला ने कहा अंकल आधे घंटे में वाणी को भेज दूँगी मैं अपने साथ ले जा रही हूँ । पिताजी किस दुनिया में थे मालूम नहीं हाँ कह दिया ।
वाणी के साथ उसके घर गई तो उसकी बहन मेज़ पर केक रख रही थी ।दोनों ने मिलकर हेपी बर्थडे गीत गाया । वीणा ने सोचा मेरी बचपन से यही ख़्वाहिश थी कि मैं केक काटूँ और सब मेरे लिए हेपी बर्थडे गीत गाएँ और मैं सबको चॉकलेट बाँटू पर मेरी इच्छा कभी पूरी नहीं हुई थी । आज केक को देखते ही मैंने आश्चर्य से पूछा सरला तुझे कैसे मालूम मेरा जन्मदिन है ।उसने कहा क्या वाणी एक दोस्त को दूसरे दोस्त की सारी बातें बिन कहे पता चल जाती हैं ।चल चल देर मत कर केक काट ।मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा ।मैंने अपने हाथों में चाकू लिया ज़िंदगी में पहली बार केक काट रही थी तभी सम्राट भागते हुए आया दीदी चल पापा तुझे अभी बुला रहे हैं ।मैंने चाकू वहीं टेबल पर रख दिया और जाने लगी ।सरला ने कहा केक तो काट ले वाणी पर मैं घर की तरफ़ भागी क्योंकि पिता का बहुत डर था । घर पहुँच कर देखा कुछ नए लोग बाहर बैठे थे मेरे पहुँचते ही पिताजी ने कहा चाय लेकर आ जा । माँ की दी हुई चाय की ट्रे पकड़ कर आई और सबको चाय दिया समझ गई कि क्या हो रहा है क्योंकि मैंने बहनों को देखा था । उनके जाते पिताजी ने कहा उन्हें लड़की पसंद आ गई है ।दो महीनों में ही मेरी शादी कर दिया गया । शादी से पहले मुझसे पूछा भी नहीं कि पसंद आया या नहीं? साल महीने बीत गए ।एक लड़का हुआ महेश । पति गुजर गए बड़ी मुश्किल से लड़के को पढ़ा लिखाकर पैरों पर खड़े होना सिखाया ।
एक दिन महेश अपने साथ एक लड़की महिमा को साथ लाया ।जो उसके साथ उसके ऑफिस में काम करती थी । लड़की सुंदर सुशील थी ॥महेश की पसंद थी ।इसलिए बिना देर किए उन दोनों की शादी कर दिया । महिमा बहुत ही होनहार लड़की थी ।बहुत सी बातें मुझसे करती थी । कहीं भी घूमने जाते मुझे भी ले जाने की जिद करती थी । उस दिन हर साल की तरह मेरा जन्मदिन था पर इस बार मेरे साठ साल पूरे हो रहे थे । मैंने हमेशा की तरह अपने बाल शैम्पू से धोए ।भगवान की पूजा कर बाहर आई तो बहू ने मुझे एक नई साड़ी दी और कहा हेपी बर्थडे माँ यह नई साड़ी पहनकर आप आ जाइए । मैं साड़ी पहनकर बाहर आई तो मेरा भाई मेरी बहनें सब मेरे लिए हेपी बर्थडे गीत गा रहे थे । छोटे भाई ने कहा दीदी मैं बहुत छोटा था पर आज भी मुझे याद है कि घर में सिर्फ़ मेरा ही जन्मदिन मनाया जाता था और किसी का नहीं आपको केक काटना पसंद था ।यह भी मुझे मालूम था पर मैंने आपके लिए कुछ नहीं किया ।आज आपकी बहू ने शाम को होटल में पार्टी भी रखी है तैयार हो जाइए । नाश्ता खाना सब बाहर से ही आया ।शाम को सही समय पर हम सब होटल पहुँच गए । मेरी सहेलियों को भी बुलाया ।सबके सामने मैंने केक काटा ।मेरी बचपन की छोटी सी आशा आज पूरी हुई । मेरे हाथ में महिमा ने बी .ए का ओपन यूनिवर्सिटी का फार्म रखा और कहा यह भी आपकी इच्छा थी कि आप बी . ए करें । लीजिए फार्म भरते हैं । माँ पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती है । मेरी आँखों से ख़ुशी के आँसू बह रहे थे म्यूज़िक सिस्टम में गाना बज रहा था दिल है छोटा सा छोटी सी आशा……..
सही है कई बार हमारी छोटी छोटी आशाएँ भी अधूरी रह जाती हैं । तब जब लड़का और लड़की का भेदभाव घर में हो ।