दिल बाग़ बाग़ नहीं है
दिल बाग़ बाग़ नहीं है
अपने सेकन्ड फ्लोर के घर की बॉलकनी से झाँकते हुए मै गाहे बगाहे ग्राउंड फ्लोर वाले घर का गार्डन देखा करती हुँ।उन का गार्डन बड़ा ही सुंदर और वेल मेन्टेण्ड है।उस घर के लोगों को फूल पसन्द है शायद इसलिए उनके गार्डन में तरह तरह के रंगबिरंगी फूल सब तरफ लगे हुए है।ताजा हवा खाने मैं जब तब अपनी बॉलकोनी में जाती हुँ और उनके गार्डन में फूलों को मुस्कुराते देख मैं खुश हो जाती हुँ।
कुछ दिनों से नीचे वाले घर की मालकिन दिखायी नहीं दे रही थी।पता चला की घर में कुछ अनबन हो गयी थी और पति से नाराज़गी की वजह से वह अपने मायके चली गयी है।
हम बड़े शहर में रहने वाले लोग थोड़े सेल्फ सेंटर्ड होते है।पंजाबी वाले 'सानु की' की तर्ज पर रहते है।पड़ोस में सामने पड़ने पर 'दुआ सलाम' से काम चला लेते है।'दूसरे की पर्सनल प्रॉब्लम से हमें क्या करना' इस तरह के एटीट्यूड के साथ हमारी जिंदगी मज़े से चलती रहती है।
आज बहुत दिनों के बाद नीचे वाली मैडम का फ़ोन आया था।हालचाल पूछने के बाद मैने कहा,"आप घर आ जाइये।बहुत दिनों से दिखाई नहीं दे रही है।"वह नाराज़ थी और परेशान भी। इधर उधर की बातों के बाद बात को ख़त्म करने के अंदाज़ से मैंने कहा," अभी फ़ोन रखती हुँ, जब आप आएँगी तब बात करेंगे।" वह एकदम से कहने लगी, "अरे,रुकिए, क्या आप मेरा एक काम करेगी?" क्योंकि पड़ोस का मामला था,तो मैंने हँसते हुए कहा,"क्यों नहीं करुँगी? आप बता कर तो देखिये।" उन्होंने कहा, "क्या आप हमारे गार्डन के फूलों की फोटो मुझे भेज सकती है?" मैंने कहा,"क्यों नहीं,अभी भेज देती हूँ। मैंने अलग अलग एंगल से दो तीन फोटोज निकाल कर उन्हें व्हाट्सएप पर भेज भी दी।
फोटो भेजने के बाद मेरा ध्यान फिर से उन फूलों की तरफ गया।मुझे लगा, की गार्डन के फूल मुस्कुराकर जो अभी मुझे पोज दे रहे थे वह भी अंदर से अपनी मालकिन की तरह ही उदास है।
बड़े शहरों में रहने वाले लोगों की तरह ये फूल भी लगता है अपनी उदासी छुपाने का हुनर अब सीख ही गए है...