डोर टू डोर कैंपेन- 7
डोर टू डोर कैंपेन- 7
आज फ़िर डोर टू डोर कैंपेन पर निकलना था। इंचार्ज डॉगी की लिस्ट के हिसाब से आज जिराफ़ का नंबर था।
आसमान में कुछ ऊंचे पेड़ों को लक्ष्य करके कुत्तों का झुंड जब आगे बढ़ा तो कुछ ही दूरी पर जिराफ़ मियां मिल गए।
इतने कुत्तों को एकसाथ अपनी ओर आता देख कर पहले तो वो कुछ सकपकाए, मगर उनके हाथ में फोटो लगे पोस्टर्स देख कर मुस्कुराते हुए उनका इस्तकबाल करने को खड़े हो गए।
एक कुत्ते ने दुम हिलाते हुए बेहद मीठी आवाज़ में उन्हें अपने आने का प्रयोजन बताया। सुन कर जिराफ़ मियां कुछ सोच में पड़ गए।
वे मन ही मन सोचने लगे कि अगर इन्होंने किसी तरह से शेर को राजा का पद छोड़ने के लिए मना ही लिया है तो फ़िर इनका समर्थन करने की जगह मैं ही क्यों नहीं अपनी दावेदारी पेश करूं? आख़िर मुझमें कमी क्या है? मुझसे बेहतर राजा भला कौन होगा।
यद्यपि जिराफ़ मियां ने अभी- अभी नीम के ढेर सारे कड़वे पत्ते खाए थे फ़िर भी जबान को भरपूर मीठा बनाते हुए बोले- भाइयो, ये तो आपने बहुत अच्छा सोचा है कि जंगल में भी अब लोकतंत्र आए और यहां भी बारी- बारी से हर पांच साल बाद राजा बदला जाए... मगर क्या आपको नहीं लगता कि राजा ऐसा होना चाहिए जो सभा में गर्दन ऊंची रख कर बुलंद तरीके से लोगों के बीच बैठ सके? ऐसा कह कर जिराफ़ मियां ने अपनी लम्बी गर्दन को ज़रा हल्की सी जुंबिश दी।
समूह का एक ब्रिलियंट माना जाने वाला डॉगी तुरंत भांप गया कि जिराफ़ मियां क्या कहना चाहते हैं। उसने झटपट अपना दिमाग़ दौड़ाना शुरू किया ताकि जिराफ़ मियां को कोई माकूल जवाब दिया जा सके।
वह तत्काल बोला- महाशय आपकी बात तो बिल्कुल दुरुस्त है मगर राजा ऐसा भी तो होना चाहिए जिस पर किसी किस्म का दाग न हो।
उसकी बात सुनकर सभी कुत्ते हंस पड़े। सबका इशारा समझ कर जिराफ़ मियां शरमा कर रह गए। बोले- हां हां, मैं तो मज़ाक कर रहा था। राजा तो तुम्हें ही बनना चाहिए। तुमने तो पहले से ही दुनिया भर में अपना सिक्का जमा रखा है। लोग तुम्हें ही पालते हैं, अपने साथ बढ़िया खाना खिलाते हैं, गाड़ियों में घुमाते हैं, हम सब को तो केवल ज़ू में बंद करके रखते हैं। तुम राजा से कहां कम हो?
- पर लोग हमें ज़ंज़ीर से बांध कर भी तो रखते हैं। एक कुत्ते ने कहा।
जिराफ़ मियां बोले- चिंता मत करो, मेरा पूरा समर्थन तुम्हें मिलेगा ताकि तुम ही राजा बनो।
कुत्तों का दिल बाग- बाग हो गया।
