डोर टू डोर कैंपेन- 5
डोर टू डोर कैंपेन- 5
नन्हा पॉमेरियन जैसे ही कुत्तों की टोली में पहुंचा उसने एक सांस में सारी कहानी सबको सुना डाली। उसकी बात सुन कर सारे ख़ुशी से उछलने लगे। कोई नन्हे को गोद में उठा कर झुलाता तो कोई उसका मुंह चूमता।एक विशालकाय बड़े शिकारी कुत्ते ने कहा- इस छोटे बच्चे ने बड़ा काम कर दिखाया है, किंतु अब हम सब को सोच समझ कर आगे कदम बढ़ाना है। शेर दूसरे जानवरों को भी राजा बनाने पर सहमत हो गया है यह जानकर कई बड़े- बड़े जानवर सामने आ जाएंगे। राजा तो सभी बनना चाहेंगे। लेकिन हम लोग सावधानी के साथ सभी पशुओं को अपने पक्ष में करेंगे ताकि कोई हमारा विरोध न करे और राजा बनाने के लिए हमारा ही समर्थन करे।
"मगर कैसे?" एक ब्राज़ीलियन नस्ल के खूबसूरत से कुत्ते ने पूछा।
"डोर टू डोर कैंपेन करके!" बुज़ुर्ग डॉगी ने कहा।ये बात सभी को पसंद आई। घर - घर जाकर, दर -दर जाकर सबको समझाने से कामयाबी ज़रूर मिलती है। ये ही सफ़लता का मूल मंत्र है। एक अन्य वयोवृद्ध कुतिया ने कहा।यही तय किया गया कि बारी - बारी से एक- एक प्राणी के घर जाकर उसे समझाया जाएगा कि कुत्ते कितने महान हैं। यदि उन्हें राजा बनाया जाता है तो जानवरों की पहुंच आसानी से इंसानों के कोठी, बंगले, महल, पार्कों और बाजारों तक हो सकती है।कुछ सुंदर कुत्तों की तस्वीर लगा कर कुछ पोस्टर्स भी तैयार कर लिए गए।एक समझदार से दिखने वाले अल्सेशियन ने कहा- मैं बरसों तक सैनिक अधिकारियों के साथ छावनियों में रहा हूं। मैंने देखा है कि हम अगर लोगों का कष्ट दूर करने की कोशिश करते रहें तो लोग भी हमें बहुत सम्मान देते हैं। हमें सबसे जाकर पूछते रहना चाहिए कि उन्हें कोई तकलीफ़ तो नहीं है? किसी का दुःख दर्द पूछना ही उसके आधे कष्ट तो कम कर देता है। तो डोर टू डोर कैंपेन में हम जिससे भी मिलें, उससे ये जानने की कोशिश करें कि उसकी परेशानी क्या है।बात सभी को पसंद आई।कल से काम शुरू करना था। पहला नंबर हाथी का रखा गया।