डोर टू डोर कैंपेन- 4
डोर टू डोर कैंपेन- 4
अगली सुबह घर से दूध ब्रेड खाकर एक छोटी सी बॉल मुंह में दबाए नन्हा पॉमेरियन शेर से मिलने चल दिया।
शेर हमेशा छोटे जानवरों को बहुत प्यार करता था। वो उससे डरते भी नहीं थे। बड़े जानवरों को देख कर तो शेर की भूख जाग जाती थी और वो उन्हें मार कर खा जाता था पर नन्हे जानवर आराम से शेर से मिल कर बातें कर लेते थे क्योंकि उन्हें खाने से शेर का कुछ भला भी कैसे होता? पेट तो भरता नहीं! फिर उन्हें मारने से क्या लाभ!
यही कारण था कि पंचतंत्र के दिनों में एक चूहे ने ही शेर का जाल कुतर कर उसकी जान बचाई थी। एक खरगोश ने ही उसे बातों में उलझा कर जंगल के सब जानवरों को उससे बचाया था।
तो नन्हा पॉमेरियन पप्पी भी चल दिया राजा जी के दरबार में।
शेर अभी- अभी एक बारहसिंगे को मार कर भरपूर भोजन करके बैठा था। वो नन्हे को देख कर बहुत ख़ुश हुआ। उसके साथ बॉल से खेलने लगा।
लेकिन ये क्या? अलसाए हुए शेर राजा ने एक डकार के साथ उबासी लेते हुए जैसे ही मुंह खोला, बॉल उसके मुंह में जा फंसी।
अब तो राजा का बुरा हाल। घूम -घूम कर, नाच - नाच कर बॉल को निकालने की खूब कोशिश की। मगर जितना वो उसे निकालने की कोशिश करता उतनी ही वो और फंसती जाती। छींकें भी आने लगीं।
थोड़ी देर राजा को बॉल के साथ धींगा मुश्ती करते देख कर नन्हे को भी जोश आ गया और उसने शेर के खुले हुए मुंह में छलांग लगा दी। आख़िर अपने पैने दांतों से पकड़ कर वो बॉल निकाल ही लाया।
शेर ने राहत की सांस ली।
शेर नन्हे की इस कोशिश से बहुत खुश हुआ।
बस, नन्हा किसी ऐसे ही मौक़े की तलाश में तो था, जब राजा ख़ुश हो। उसने फौरन कहा- किंग अंकल, आपको बहुत काम करना पड़ता है न, पूरे जंगल का राजपाट हमेशा आप ही संभालते हो!
- हां, करना तो पड़ता है, पर क्या करूं? सबने मुझे राजा बना रखा है तो ज़िम्मेदारी भी उठानी पड़ती है।
नन्हा बोला - पर ये तो ग़लत है न! हमेशा आप ही सारा राजपाट संभालें। दूसरों को भी तो कभी ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए।
शेर ने सोचा, ये छुटका बात तो ठीक कहता है। शेर बोला- तो तुम सब मिलकर सब पशुओं को समझाओ कि बारी- बारी से सब राजा बन कर काम करें!
ये सुनते ही नन्हा ख़ुशी से ताली बजाता हुआ वापस घर की ओर भागा। अपनी कामयाबी की ख़ुशी में वो अपनी बॉल भी शेर को ही दे आया। उसे जल्दी से ये खुशखबरी अपने साथियों को सुनानी जो थी।
