Charumati Ramdas

Others

4.3  

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बूढ़ा रसोइया

बूढ़ा रसोइया

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सन् 1786 की सर्दियों की एक शाम को वियेना के बाहर लकड़ी के छोटे से घर में एक अंधा बूढ़ा – सरदारनी तून का भूतपूर्व रसोइया मर रहा था। सच कहा जाए, तो वह घर नहीं, अपितु एक जीर्ण-शीर्ण कोठरी ही थी, जो बाग की गहराई में स्थित थी। बाग हवा से तोड़ी गई सड़ी-गली टहनियों से अटा पड़ा था, हर क़दम पर टहनियाँ चरमरा उठतीं और तब कोठरी में पड़ा कुत्ता गुरगुराने लगता। वह भी अपने मालिक की ही भाँति मर रहा था – बुढ़ापे के कारण, और भौंकने में असमर्थ था। 

कुछ साल पहले भट्टियों की गर्मी के कारण रसोइया अन्धा हो गया था। सरदारनी के कारिंदे ने तभी से उसे कोठरी में टिका दिया था और समय-समय पर वह उसे कुछ चाँदी के सिक्के भी देता रहता। 

रसोइए के साथ उसकी अठारह वर्ष की बेटी मारिया रहती थी, कोठरी में एक खाट, लंगड़ी बेंचें, भद्दी मेज़, दरारों वाले चीनी मिट्टी के बर्तन और मारिया की एकमात्र दौलत – तारों और पट्टियों वाला बाजा, क्लावेसिन – बस यही कुछ था। 

क्लावेसिन इतना पुराना था कि उसके तार आस-पास होने वाली हर आवाज़ के जवाब में हौले-हौले बड़ी देर तक गाते रहते। रसोइया मुस्कुराते हुए क्लावेसिन को ‘अपने घर का पहरेदार’ कहा करता, घर में कोई भी क्लावेसिन की थरथराती, बूढ़ी झंकार के स्वागत से बचकर प्रवेश न कर पाता। 

जब मारिया ने मरणासन्न पिता को नहलाकर उसे ठंडी, साफ़ कमीज़ पहनाई तो बूढ़ा बोला

”पादरियों और संतों को मैंने कभी पसन्द नहीं किया, मैं पादरी के सामने अपने गुनाहों की क़बूली नहीं दे सकता, मगर मुझे मरने से पहले अपनी अंतरात्मा को शुद्ध करना होगा। ”

“क्या करना होगा?” घबरा कर मारिया ने पूछा। 

“सड़क पर जा,” बूढ़े ने कहा, “और जो भी पहला व्यक्ति मिले उसे मरते हुए व्यक्ति की स्वीकारोक्ति सुनने के लिए घर में बुला ला, तुझे कोई इनकार नहीं करेगा।”

“हमारी सड़क इतनी सुनसान है...” मारिया बुदबुदाई और सिर पर रूमाल डालकर बाहर निकल गई। 

वह दौड़ती हुई बाग से गुज़रकर ज़ंग लगे फ़ाटक तक पहुँची और बड़ी मुश्किल से उसे खोलकर वहीं ठहर गई, सड़क सुनसान थी हवा उस पर पत्ते उड़ा उड़ाकर ला रही थी, और काले आकाश से बारिश की ठंडी बूंदें गिर रही थी। 

मारिया बड़ी देर तक इंतज़ार करती रही, आहट लेती रही, आख़िर उसे ऐसा महसूस हुआ कि चारदिवारी के निकट से गाता हुआ कोई व्यक्ति जा रहा है। वह कुछ क़दम आगे बढ़ी, उससे टकरा गई और चीख़ पड़ी

आदमी रुक गया और उसने पूछा:

“कौन है?”

मारिया ने उसका हाथ पकड़ लिया और थरथराती आवाज़ में पिता की इच्छा सुना दी। 

“ठीक है,” उस आदमी ने शांतिपूर्वक कहा, “मैं संत तो नहीं हूँ, मगर कोई बात नहीं चलो, चलें!”

वे घर के अन्दर गए, मोमबत्ती के प्रकाश में मारिया ने छोटे क़द के कृश व्यक्ति को देखा। उसने बेंच पर गीला ओवरकोट फेंक दिया, वह सुरुचिपूर्ण और सादी पोषाक में था – मोमबत्ती की लौ उसकी काली जैकेट, क्रिस्टल की बटनों और झालरदार कॉलर में झिलमिला रही थी। 

अजनबी काफ़ी जवान था, बच्चों जैसे अंदाज़ में उसने सिर को झटका दिया, फ़ौरन खाट के निकट स्टूल खिसका कर बैठ गया और झुककर एकटक और प्रसन्नतापूर्वक मरणासन्न व्यक्ति के चेहरे की ओर देखने लगा। 

“कहिए!” वह बोला “शायद उस शक्ति के कारण जो मुझे ईश्वर से नहीं, अपितु उस कला की बदौलत प्राप्त हुई है, जिसकी मैं सेवा करता हूँ, मैं आपके अंतिम क्षणों को सुख कर बना सकूँ और आपकी आत्मा का बोझ हटा सकूँ”

“मैं जीवन भर काम करता रहा, जब तक कि अपनी आँखें न खो बैठा,” बूढ़े ने फुसफुसाकर कहते हुए हाथ से अजनबी को अपने निकट खींच लिया। “और, जो काम करता है, उसके पास गुनाह करने के लिए समय नहीं होता, जब मेरी पत्नी तपेदिक से बीमार हुई – उसका नाम मार्था था – और डॉक्टर ने ढेरों महंगी दवाइयाँ लिखकर दीं तथा उसे मक्खन, आलू बुखारे, गर्म लाल शराब देने को कहा तो मैंने सरदारनी तून के यहाँ से एक छोटी सी सोने की तश्तरी चुरा ली और उसके टुकड़े-टुकड़े करके उसे बेच दिया। अब उस बारे में याद करके और बेटी से उस कृत्य को छिपाते हुए मुझे अपनी आत्मा पर गहरा बोझ महसूस होता है, मैंने उसे पराई मेज़ की धूल को भी न छूने की शिक्षा दी है”

“क्या सरदारनी के किसी सेवक को इसके लिए दंडित किया गया?” अजनबी ने पूछा। 

“क़सम खाता हूँ, जनाब, किसी को भी नहीं,” बूढ़े ने जवाब दिया और वह फूट फूटकर रोने लगा। “यदि मैं जानता कि सोना मेरी मार्था को बचा न सकेगा, तो क्या मैं चोरी कर सकता था!”

“आपका नाम क्या है?” अजनबी ने पूछा

“योगानी मेयर, जनाब”

“तो, योगानी मेयर,” अजनबी ने बूढ़े की दृष्टिहीन आँखों पर हथेली रखते हुए कहा, “लोगों की नज़रों में आप अपराधी नहीं है। जो कुछ आपने किया वह गुनाह नहीं है, चोरी भी नहीं, बल्कि प्रेम के वश होकर किया गया कार्य था ”

“आमीन!” बूढ़ा फुसफुसाया

“आमीन!” अजनबी ने दुहराया “और अब मुझे अपनी अंतिम इच्छा बताइए

“मैं चाहता हूँ कि कोई मारिया की देखभाल करे”

“मैं कर लूँगा आप और क्या चाहते हैं?”

तब मरणासन्न व्यक्ति अप्रत्याशित रूप से मुस्कुराया और ज़ोर से बोला

“मैं एक बार फिर मार्था को वैसे ही देखना चाहता हूँ, जैसा कि मैंने उसे पहली बार देखा था। मैं सूरज देखना चाहता हूँ, और यह पुराना बाग भी जब वह बसंत में महक उठेगा, मगर यह नामुमकिन है, जनाब। इन बेवकूफ़ी भरी बातों के लिए मुझ पर क्रोधित न हों, बीमारी ने, शायद, मुझे पूरी तरह तोड़ दिया है”

“अच्छा,” अजनबी ने कहा और वह उठ गया “ठीक है,” उसने दोहराया। वह क्लावेसिन के निकट गया और उसके सामने स्टूल पर बैठ गया “अच्छा! ” उसने तीसरी बार ज़ोर से कहा, और अचानक एक झनझनाहट पूरी कोठरी में गूंज गई, मानो फ़र्श पर सैकड़ों काँच के मोती बिखर गए हों। 

“सुनिए,” अजनबी ने कहा “सुनिए और देखिए!”

उसने क्लावेसिन बजाना आरंभ किया, जब पहला सुर उसके हाथों के नीचे से फूटा तो मारिया ने अजनबी के चेहरे की ओर देखा एक अजीब से पीलेपन ने उसके माथे को ढक लिया था और उसकी काली आँखों में मोमबत्ती की लौ नाच रही थी। 

अनेक वर्षों बाद क्लावेसिन अपनी पूरी शक्ति से गा रहा था, अपने सुरों से उसने न केवल पूरी कोठरी को, बल्कि पूरे बाग को गुंजा दिया था। बूढ़ा कुत्ता अपनी कोठरी से निकलकर, सिर एक ओर को झुकाए बैठ गया और अपने कान खड़े करके ख़ामोशी से पूँछ हिलाने लगा। गीली बर्फ़ गिरनी शुरू हो गई थी, मगर कुत्ता उसे केवल अपने कान हिलाकर झटक देता। 

“मैं देख रहा हूँ, जनाब!” बूढ़ा बोला और वह अपनी खाट पर कुछ उठा “मैं देख रहा हूँ वह दिन जब मैं मार्था से मिला था और उसने घबराहट में दूध से भरा बर्तन फोड़ दिया था। यह हुआ था पहाड़ों पर, सर्दियों में आसमान साफ़ था, मानो नीला पारदर्शी शीशा हो और मार्था मुस्कुरा रही थी। मुस्कुरा रही थी,” उसने तारों की झनझनाहट को सुनते हुए दोहराया। 

अजनबी अंधेरी खिड़की से बाहर देखते हुए बजाता रहा

“और अब,” उसने पूछा, “आप कुछ देख रहे हैं?”

बूढ़ा, सुनते हुए, ख़ामोश रहा

“क्या आप नहीं देख रहे हैं,” संगीत जारी रखते हुए जल्दी से अजनबी ने पूछा, “कि रात काली से नीली हो गई है, और फिर आसमानी, और कहीं ऊपर से गर्माहट भरा प्रकाश आ रहा है और आपके पेड़ो की पुरानी टहनियों पर सफ़ेद फूल प्रस्फुटित हो रहे हैं। शायद ये सेब के फूल हैं, हालाँकि यहाँ से, इस कमरे से, वे घंटी जैसे त्युल्पान प्रतीत हो रहे हैं आप देखिए : पहली किरण पथरीली चारदिवारी पर गिरी, उसे गरमा गई, उसमें से भाप उठ रही है. शायद शैवाल सूख रहा है, जो पिघलती हुई बर्फ से सराबोर है. और आसमान निरंतर ऊपर की ओर उठ रहा है, अधिकाधिक नीला होता जा रहा है, और पक्षियों के झुंड हमारे प्राचीन वियेना के ऊपर से उत्तर की ओर उड़ते जा रहे हैं”

“मैं देख रहा हूँ यह सब!” बूढ़ा चिल्लाया

क्लावेसिन का पायदान हौले-हौले चरमरा रहा था, और वह दिल खोलकर उत्साहपूर्वक बज रहा था, गाए जा रहा था, जैसे क्लावेसिन नहीं, बल्कि सैकड़ों किलकारियाँ भरती आवाज़ें आ रही हों। 

“नहीं, महाशय,” मारिया ने अजनबी से कहा, “ ये फूल ज़रा भी त्युल्पानों जैसे नहीं हैं ये तो सेब के फूल प्रस्फुटित हो गए हैं एक ही रात में!”

“हाँ,” अजनबी ने जवाब दिया, “ये सेब के ही फूल हैं मगर उनकी पंखुड़ियाँ काफ़ी बड़ी-बड़ी हैं”

“खिड़की खोलो, मारिया,” बूढ़े ने विनती की

मारिया ने खिड़की खोल दी, ठंडी हवा का झोंका कमरे में घुस आया, अजनबी बड़े हौले-हौले, बहुत हल्के-हल्के बजा रहा था। 

बूढ़ा तकिए पर गिर पड़ा, उसने जल्दी जल्दी, किसी लालची की भाँति गहरी गहरी अंतिम साँसें लीं और कंबल पर अपनी उंगलियाँ फेरने लगा। मारिया उसकी ओर लपकी, अजनबी ने अब बजाना बन्द कर दिया वह क्लावेसिन के निकट बिना हिले-डुले बैठा रहा, मानो अपने ही संगीत के जादू से बुत बन गया हो। 

मारिया चीख़ पड़ी, अजनबी उठा और खाट के निकट आया, बूढ़े ने गहरी साँस लेते हुए कहा:

“मैंने सब कुछ इतना साफ़ देखा, जैसा कई सालों पहले देखा करता था, मगर मैं नाम – आपका नाम जाने बिना मरना नहीं चाहता!”

“मुझे वोल्फ़ोंग अमादेइ मोज़ार्ट कहते हैं,” अजनबमारिया खाट से दूर हट गई और नीचे, लगभग फ़र्श को छूते हुए घुटनों पर झुक गई महान संगीतकार के सामने, जब वह सीधी खड़ी हुई, तो बूढ़ा मर चुका था. खिड़कियों के बाहर ऊषा की लाली फूट रही थी और उसके प्रकाश में दिखाई दे रहा था बाग, गीली बर्फ़ के फूलों से आच्छादित!ी ने उत्तर दिया.


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