Bhawna Vishal

Inspirational

5.0  

Bhawna Vishal

Inspirational

बटुआ

बटुआ

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'अरे,अरे अपना बटुआ तो लेते जाओ ' सिया ने राघव को भाग कर बटुआ पकड़ाते हुए कहा ।

'तुम भी अपना ध्यान रखना।वैसे इस हालत में तुम्हें छोड़कर जाना अच्छा तो नहीं लग रहा।"

कोई बात नहीं राघव। ये जाॅब तुम्हारा सपना है।तुम चिन्ता मत करो।मैं ठीक हूँ।

ओटो में बैठकर राघव को याद आया कि उसे अपने दोस्त सुनील को पैसों के इंतजाम के लिए फोन करना है।मगर नेटवर्क की समस्या के कारण बात न हो सकी।ओटो से उतरते समय किराया देने के लिए बटुआ खोला तो पांच पांच सौ के बारह नोट देखकर सुख मिश्रित आश्चर्य हुआ।दर असल सिया ने चुपके से राघव के बटुए में छः हजार रूपये रख दिये थे।

पुरुषवादी सोच के राघव के लिए यूं तो अपनी पत्नी का नौकरी का निर्णय सहज स्वीकार्य नहीं था,लेकिन आज उसे सिया के अपने पैरों पर खड़े होने का मूल्य कुछ कुछ समझ आ रहा था।


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