Kameshwari Karri

Others

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बिटिया मेरे घर ही आना

बिटिया मेरे घर ही आना

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महेश की शादी अनीता से हुई थी । वह पढ़ी लिखी थी परंतु ससुराल में पहले से ही कह दिया गया था कि हमें नौकरी करने वाली बहू नहीं चाहिए । उनकी बात मानकर मायके का मान रखते हुए अनीता ने नौकरी छोड़ दिया । एक साल तक सब कुछ ठीक ही था । अब घर में सब प्रेशर करने लगे कि घर में एक नया मेहमान आने का वक़्त आ गया है जल्दी से प्लान कर लो । 

सास ने पहले ही कह दिया था कि---देख बहू मुझे तो लड़का चाहिए । इस घर का वारिस ही चाहिए बाद में न कहना मैंने नहीं बताया है । हमारे ख़ानदान में अब तक लड़के ही होते आए हैं या यह कहो कि लड़के ही होने चाहिए समझ गई न ।

ससुर ने कहा -- हमने अपने घर में एक भी लड़की को नहीं पाला है । मेरी कोई बहनें नहीं हैं । मेरी कोई बुआ नहीं हैं और न ही मेरी कोई बेटी है । इसका मतलब यह है कि पोता ही चाहिए पोती नहीं । सब लोग उनकी बातों पर ऐसे हँस रहे थे जैसे उन्होंने कोई जोक कहा है । 


अनीता पढ़ी लिखी थी । वह सोच रही थी कि आजकल के ज़माने में भी ऐसे लोग होते हैं क्या? इनके घर में तो डॉक्टर भी हैं । अनीता को अब समझ में आया था कि बारात में भी सिर्फ़ लड़के ही क्यों थे । उनकी बातों से उसे डर लगने लगा था । वह अपने पति से भी कुछ नहीं कह सकती थी क्योंकि वे अपने माता-पिता के लाड़ले जो थे सब कुछ उन्हें बता देते थे । 

अनीता को प्रेगनेंसी आई पर हर दिन लड़का लड़का सुनते ही उसने नौ महीने गुजारे । उस रात को जब उसे दर्द उठना शुरू हुआ था तो पूरा परिवार अस्पताल आ गया था । डॉक्टर भी हैरान थे कि इतने लोगों का जमघट है बाहर उन्होंने अनीता से जब पूछा तो उसने डॉक्टर को सारी बात बताई और उसकी मदद करने के लिए कहा । डॉक्टर भी हैरान थी कि इस तरह के परिवार भी होते हैं क्या ? 

खैर इंतज़ार की घड़ियाँ ख़त्म हुई और अनीता ने सुंदर सी बच्ची को जन्म दिया था । लड़की का जन्म हुआ सुनते ही पूरे परिवार के सदस्य निराश हो गए । उन्हें यह बात हज़म नहीं हुई थी कि उनके घर में बेटी का जन्म हुआ है । पिताजी ने महेश से कहा कि बच्चे को देखने की ज़रूरत नहीं है तुम अपनी बीबी से कह दो कि वह यहीं से अपने घर चली जाए हम उसका सामान भिजवा देंगे । हम सब घर जा रहे हैं । तुम अस्पताल में पैसे जमा करके घर आ जाना कहकर सब लोग घर चले गए । 


महेश अनीता के पास पहुँच कर अनीता से मिला । वैसे भी अनीता को मालूम था कि घर वालों की क्या प्रतिक्रिया होगी । इसलिए उसे महेश से भी कोई अपेक्षा नहीं थी । 

महेश ने कहा --- अनीता सच कहूँ तो मुझे लड़कियाँ बहुत पसंद हैं परंतु माता-पिता के खिलाफ नहीं जा सकता हूँ यह भी मेरी कमजोरी है । प्लीज़ तुम मुझ जैसे कायर पति को माफ कर दो । तुम जहाँ कहीं भी रहोगी मैं तुम्हारी और बच्ची की ज़िम्मेदारी उठाऊँगा । 

अनीता ने महेश से कहा-- मुझे मालूम है कि आप बहुत अच्छे हैं पर जब आप हमारे लिए कुछ नहीं कर सकते हैं तो आपकी अच्छाई का क्या फ़ायदा है बोलिए । महेश जी ईश्वर की कृपा से मैं पढ़ी लिखी हूँ नौकरी करके अपनी बेटी को पाल पोसकर बड़ा कर सकती हूँ आपसे निवेदन है कि आप घरवालों को बिना बताए हमारे लिए कुछ मत कीजिए । 

महेश ने कहा-- ठीक है अनीता मैंने अस्पताल की सारी फॉरमॉलटीस पूरे कर दिए हैं । तुम अपना और बच्ची का ख़याल रखना । जब भी समय मिलेगा मैं आप लोगों से मिलता रहूँगा । तुम भी मेरे टच में ही रहना । कहकर वहाँ से चला जाता है । 

अनीता की आँखें भर आती हैं कि ऐसे लोग भी होते हैं दुनिया में क्या ? तभी डॉक्टर आती है और कहती है अनीता मैं यह क्या सुन रही हूँ । ससुराल वालों की बात तो समझ सकते हैं परंतु तुम्हारे पति से यह उम्मीद नहीं थी मुझे । l

उन्होंने कहा कि --- अनीता तुम्हें किसी भी मदद की ज़रूरत है तो मुझे बताना हिचकिचाना नहीं । 

अनीता ने कहा--डॉक्टर मैं पढ़ी लिखी हूँ नौकरी कर सकती हूँ अपनी बेटी को मैं अच्छे से पाल लूँगी । हाँ अगर आपकी ज़रूरत होगी तो मैं आपके पास ही आऊँगी । 

अनीता बच्ची को लेकर मायके आती है । जब घरवालों को उनके बारे में पता चलता है तो कहने लगे कि कोर्ट केस करेंगे या बड़ों को ले जाकर बात करेंगे । अनीता ने सबको मना कर दिया था कि मैंने जब दिल से उन सबको माफ कर दिया है तो आप लोगों को परेशान होने की ज़रूरत नहीं है । हाँ आपके घर में मेरे रहने से तकलीफ़ है तो मैं अलग जाकर रह जाऊँगी । माता-पिता ने कहा हमारे रहते तुम्हें कहीं जाने की ज़रूरत नहीं है । 

कुछ ही दिनों में अनीता को उसी कंपनी में नौकरी मिली जिसमें वह पहले भी करती थी । माँ बच्ची को सँभाल लेती थी । अनीता ने माँ की मदद के लिए एक नेनी को रख लिया । 

दिन साल गुजर गए । किसी ने बताया था कि महेश ने फिर से शादी कर लिया है उसके तीन तीन लड़के थे । अनीता ने सोचा चलो अच्छा है इस बहू को घर से जाना नहीं पड़ा । अनीता की बेटी संजना सिविल्स के लिए तैयारी कर रही थी । होनहार छात्रा थी । वह दिन भी आ गया जब वह अपने ही शहर में आई पी एस बनकर आ गई थी । संजना की नानी ने उसे पिता के बारे में सब कुछ बता दिया था । इसलिए वह माँ की हर बात मानती थी और उसे सम्मान देती थी । 


एक दिन संजना ने माँ से कहा कि-- माँ मैं अपने ही एक साथी से शादी करना चाहती हूँ । हम दोनों स्कूल से साथ थे आज वह भी मेरे समान ही आई पी एस बन गया है । आप एक बार अखिलेश से मिल लीजिए । अनीता अखिलेश और उनके परिवार से मिलती है जब उन्हें अनीता के बारे में पता चलता है तो उन्होंने अनीता की तारीफ़ के पुल बाँध दिए थे । 

अनीता पहले भी सोचती थी कि बेटी के बिना कैसे रह पाएगी । अब तो वह दिन आ गया जब बेटी की शादी तय हो गई थी । संजना ने कहा माँ आप मेरे साथ मेरे घर चल कर रहेंगी । मैंने ऑलरेडी अखिलेश और उनके परिवार वालों से बात कर ली है । उन्होंने तो आपके लिए कमरा भी तैयार कर दिया है । 

अनीता ने सुना परंतु कुछ नहीं कहा । उसे किसी पर भी बोझ बनना अच्छा नहीं लगता है । उसने सोचा अभी से क्यों इस बात पर सोचूँ तब की तब देखूँगी । 

अनीता शादी की तैयारियों में व्यस्त हो गई थी । एक दिन इसी सिलसिले में वह अपने भाइयों से सलाह मशविरा कर रही थी कि बाहर से गार्ड्स की आवाज़ सुनाई दी । सब लोग भागकर बाहर पहुँच कर देखते हैं तो एक आदमी अंदर आने की कोशिश कर रहा था और गार्ड उसे रोक रहे थे । अनीता के भाई ने उसे अंदर भेजने के लिए कहा । वह आदमी जब नज़दीक आया तो अनीता ने पहचान लिया था कि वह और कोई नहीं बल्कि महेश था । अनीता को तो महेश पहले ही से पसंद था । उसे यह भी मालूम था कि महेश की कोई गलती नहीं है वह सिर्फ माता-पिता को मान देता है । 

महेश को अंदर लाकर पानी पिलाया और जब उसके बारे में पूछने पर उसने बताया कि उसके तीनों बेटे नालायक निकले । माता-पिता और पत्नी की मृत्यु के बाद उन्होंने मुझे घर से निकाल दिया है । मुझे कुछ नहीं सूझा तो मैं यहाँ आ गया पर चला जाऊँगा अनीता यहाँ नहीं रुकूँगा कहते हुए पछतावे के आँसू बहाने लगा । अनिता और भाइयों ने उसे माफ कर दिया । संजना ने भी अपने पिता को घर में रखने के निर्णय पर सवाल नहीं उठाया और उन्हें बाइज़्ज़त घर में रखकर पिता का सम्मान दिया । 

अब अनीता को यह बात नहीं सताती थी कि बेटी के बिना वह अकेली कैसे रहेगी । 

के कामेश्वरी 


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