Vimla Jain

Children Stories Tragedy Action

4.3  

Vimla Jain

Children Stories Tragedy Action

भूतिया सिनेमा

भूतिया सिनेमा

3 mins
255


बचपन के दिन भी क्या दिन थे। जब रोड पर पिक्चर्स हुआ करती सूचना प्रसारण विभाग से।हम अपने घर से चद्दर कुर्सी लेकर पिक्चर देखने जाया करते।

सब जने वहां टोली में जाते मजे से बैठ जाते और खूब मजे से पिक्चर देखते। अगर पिक्चर अच्छी हुई तो मजा आ जाता। मगर अगर भूतिया पिक्चर हुई भूत प्रेत की तो मेरे तो प्राण ही सूख जाते थे भूत प्रेत से, और डरावनी चीजों से इतना डर लगता था। तो भी सबके सामने हीरो बनने के लिए थोड़ा तो सहना पड़ता है ना। दोनों आंख बंद करें नवकार मंत्र गिनते एक आंख खोलकर एक आंख बंद करके नमो नमो करके पिक्चर पूरी करके घर आते। और घर में ऐसे दुबक कर सोते लगता इधर से भूत आएगा। उधर से भूत आएगा। सच में बचपन का वह भुतिया पिक्चर देखने का मंजर जब आज याद आया आपके विषय से, तो मन वापस बचपन में डोल गया।

मेरे को शुरू से डरावनी पिक्चर और डरावनी स्टोरी वगैरह अच्छी नहीं लगती थी डर लगता था मगर अपने आप को स्ट्रांग दिखाने के लिए कभी किसी को बोलते नहीं थे कि हमको इसमें डर लगता है। सुनते थे। आंखें बंद कर लेते और जैसे डर होता है वैसी एक्टिंग ना करके सोने की एक्टिंग करते थे वह भी क्या दिन थे।

एक बार एक पिक्चर देखी थी। नाम तो मुझे याद नहीं है उसमें वह कोई नलिनी जयवंत थी। शायद वह कोई डरावनी जगह जा रही थी। मुझको इतना डर लगा। जैसे कोई आकर मुझको ही खा जाएगा। ऐसे थे हमारे बचपन के दिन

बड़े होने की बात हम लोग जॉब में शुरुआत में राजस्थान के गांव में थे। इंटीरियर का कोई गांव था वहां पर पिक्चर लगी थी मेरा गांव मेरा देश।

हम जब वहां देखने गए थे तो वहां बहुत सुंदर सा एक थिएटर बना हुआ था मगर वह बिल्कुल खाली था। और ऊपर मोटा सा ताला लगा हुआ था।

और उसके पास वाले ओपन थिएटर ऐसा कह सकते हैं।

बड़ी सी जगह में बेंचें लगा दी और सामने पर्दा और वहां पर यह पिक्चर दिखाई गई। जब हमने पता करा तब गांव वाले बोलते हैं कि यह नए जो सुंदर सा थिएटर है वह भूतिया जगह है ऐसा मानना है। मगर कुछ लोगों का ऐसा मानना था कि ओपन एयर थिएटर वाले ने कुछ गड़बड़ करके और ऐसा उड़ा दिया होगा कि यह थिएटर भूतिया है। ताकि उसका पुराना सा थिएटर जो वहां सबसे पुराना था। अकेले थिएटर के अलावा कोई थिएटर नहीं था वह चल जाए।

और ऐसा ही हुआ पड़ोस वाली थिएटर में ताले लग गए। और पुराना थिएटर धूमधाम से चलने लग गया।। भूत प्रेत कुछ होता नहीं है मन का वहम होता है।

मगर पिक्चर्स में और सब में और स्टोरीज में सब में भूत का चित्रण करके लोगों के कमजोर दिमाग मैं भूत का डर बिठा दिया जाता है।

अगर गांव में यह कोरोना होता तो उसको भी कोई भूत प्रेत और उपरला कह देते क्यों मैं सही कह रही हूं ना।


स्वरचित संस्मरण



Rate this content
Log in