भरोसा रिश्तों का
भरोसा रिश्तों का
किसी टीवी सीरियल में कोई actor कह रहा था,"रिश्ते टूटते हैं तो आवाज नहीं होती,सिर्फ सन्नाटा ही गूंजता रहता है।
सीरियल देखते हुए वह सोचने लगी,वास्तविक जीवन में सिर्फ रिश्ता ही नहीं टूटता बल्कि रिश्तों में रहने वाला भरोसा भी दरकता है और उसके बाद रह जाते हैं जहाँ तहाँ घूमते हुए बेजान और खोखले पुतले!
अनजाने में हम 'अपनों' को लेकर ताउम्र भरम में रहते हैं।बहुत से रिश्तों में आजमाइश के दौर से रूबरू होते हुए शह और मात का खेल चलता रहता है।सच तो ये है कि कुछ रिश्ते बड़ी ख़ामोशी से हमें खा जाते हैं और कुछ रिश्तों को हम.....
