बाल कहानी - परी माँ की सीख
बाल कहानी - परी माँ की सीख
सोनू पढ़ने में अच्छा नहीं था। हर समय माँ-बाप और टीचरों की डांट खाता था। वह जितना भी याद करने का अभ्यास करता किन्तु उसे याद नहीं होता था। गणित तो उसको बिल्कुल ही समझ नहीं आता था। रोज-रोज की मार और डांट खाते-खाते एक दिन सोनू परेशान होकर स्कूल से घर जाते समय जंगल की तरफ निकल पड़ा। भूख प्यास से व्याकुल रोते-रोते वह एक पेड़ के नीचे बैठ गया। रात होने वाली थी। उसे बहुत डर लग रहा था। उसे कुछ डरावनी परछाई दिखाई दे रही थीं। वह राम-राम का जाप करने लगा। तभी उसने देखा एक परी उसकी रक्षा के लिए उड़ कर आ रही है। वह हाथ जोड़े बैठा रहा। परी माँ के समीप आते ही उसका डर कम हो गया।
परी ने समीप आकर पूछा, "बेटा, तुम यहाँ जंगल में अकेले क्यों बैठे हो?" सोनू ने परी माँ को सब बात बता दी। परी माँ ने सोनू को समझाया। तुम हिम्मत मत हारो। तुम एकाग्रचित होकर अपना मन सिर्फ पढ़ने में लगाओ। बार-बार प्रयत्न करते रहो। एक न एक दिन तुम्हें अवश्य सफलता प्राप्त होगी। दुनिया की कोई वस्तु ऐसी नहीं है, जिसे मनुष्य हासिल नहीं कर सकता है। बस आवश्यकता है हौसला बनाए रखने की। परी माँ की बात सोनू की समझ में आ गई। उसको अपनी माँ की याद आने लगी। वह जल्दी से उठा और परी माँ को प्रणाम करने के लिए झुका लेकिन तब तक परी माँ गायब हो चुकी थीं। घर पर माँ परेशान थी कि सोनू अभी तक स्कूल से नहीं आया। चारों तरफ ढूंढने का शोर मचा हुआ था। सोनू को घर में आता देख कर माँ ने उसे गले लगा कर बहुत प्यार किया। सोनू ने अपनी माँ को परी माँ वाली सब बात बता दी और खूब मन लगा कर पढ़ने लगा। इस बार परीक्षा में वह दूसरे नंबर पर आया। टीचर और माता-पिता दोनों ही बहुत खुश थे। पर सोनू खुश नहीं था। उसने आने वाली परीक्षा में और मेहनत की और इस बार वह पूरे स्कूल में प्रथम आया।
सोनू ने सभी बच्चों से कहा, "परी माँ ने कहा था दुनिया की कोई वस्तु ऐसी नहीं है, जिसे हम हासिल नहीं कर सकते हैं। बस हिम्मत नहीं हारना चाहिए और ध्यान लगाकर बार-बार कोशिश करनी चाहिए।"
ठीक ही कहा गया है -
"करत-करत अभ्यास के
जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत जात है
सिल पर परत निसान।"