औरत बोझ नहीं होती
औरत बोझ नहीं होती
मैं अस्पताल में थी, पिता जी का इलाज चल रहा था सामने वाले बेड पर एक आंटी थी, उनका भी इलाज चल रहा था अंकल और उनकी सासू मां मतलब आंटी की मां थी जो उनकी पूरी सेवा करती थी क्यूंकि उनका चलना बहुत मुश्किल था पैरों में भी सूजन होने के कारण असमर्थ थी।
एक रोज रात के ग्यारह बजे अंकल अकेले थे, उन्हें मदद चाहिए थी
क्यूंकि जांच के साथ कैश भी जमा करने थे उन्हें और कैश काउंटर फोर्थ फ्लोर पर था।
डॉक्टर ने अचानक से अल्ट्रासाउंड के लिए भेजा, अंकल अकेले थे तो मैंने देखा तो पूछा अंकल क्या हुआ कोई दिक्कत है, तो उन्होंने बताया, सारी बात तो मैंने कहा आप कैश जमा करिए, हम groud floor आंटी को लेके जाते है, और अंकल निकाल गए, हम आंटी को लेके आ गए अल्ट्रासाउंड रूम में।
वहां डॉक्टर ने देखा तो पहचान गए क्यूंकि हम कई बार जा चुके थे पिता जी को लेके, तो उन्होंने पूछा ये कौन है आपकी तो मैंने बताया आंटी तो डॉक्टर साहब का reaction थोड़ा अजीब था, कि पिता जी भी और आंटी भी, तो मैंने कहा नहीं ! नहीं! ये सामने वाले बेड पर है आंटी तो उन्होंने कहा मदद ! मैंने बोला जी सर! उन्होंने बोला well done !
फिर ंमै बाहर आ गई, आंटी की माता जी से थोड़ी देर बात होने लगी मेरी,
मगर मैंने जब जाना अंकल के बारे में तो मुझे यकीन नहीं हुआ क्यूंकि आंटी का ध्यान रखते थे।
दादी ने बताया कि बेटा ये मेरी बेटी का जो हाल हुआ है उसका जिम्मेदार मेरा दामाद ही है मैंने बल्कि पूछा दादी ऐसा कैसे अंकल तो इतना ध्यान रखते,
तो कहने लगी जब ये चल फ़िर नहीं सकती तो अब क्या फायदा।
दादी बताने लगी कि शादी के बाद ये बहुत मारता पीटटा था,
कोई बात नहीं सुनता हमेशा प्रताड़ित करता,
बच्चे दो हो गए, फिर भी सबको दबा के रखता, बताते हुए रोने लगी ये सब सुन के मेरी आंखे भी भर आयी,
दादी को ये बातें आंटी ने अस्पताल में बताया मतलब शादी के बीस साल बाद,।
आंटी मायके वालो पर बोझ नहीं बनना चाहती थी, क्यूंकि उनके पिता जी नहीं थे, सब कुछ सहती रही
फिर वक्त ने चाल ही पलट डाली जो आंटी बेड पर पड़ गई और मौत से जूझ रही,
और एक साल भी नहीं जी सकी आंटी,
अगर उनके पति ने हमेशा से ध्यान रखा होता तो उनका ये हाल ना होता।
औरत बोझ नहीं होती है, औरत तो प्रकृति को भी बदल दे फिर इतना क्यों कष्ट देते है लोग औरतों को।।
ये कहानी आप सबके बीच लाना जरूरी समझा क्यूंकि अभी भी ऐसी बहुत सी औरतें है जो सहती है चुप रहती है और आदमी उसका फायदा उठाते, जबकि ये ग़लत है।
क्या नारी अपने घर वालो के खिलाफ खड़ी हो?
क्या नारी की हमेशा इम्तेहान लेना जरूरी है?
अपनी बहन, मां, बेटियां सबको प्यारी होती है तो नारी का अपमान क्यूं??
मैं बस यही कहना चाहती हूं औरतों को भी आजादी, सुकून और प्यार मिलना चाहिए ये हर पति या आदमी का धर्म है।।
चाहे बेटी हो, मां हो, बहन हो, पत्नी हो, सब एक औरत ही है।
नारी का सम्मान सबसे बड़ा धर्म है ।।।