अजब गांव की गजब कहानी
अजब गांव की गजब कहानी
अजब ग्राम पंचायत को सन् 1955 में निजाम पं. से अलग हुआ। अजब ग्राम पंचायत में दो बङे गांव हैं अजब व गजब तथा एक नवीनतम सुंदर व छोटा गांव विष्णु धोरा।
25 वर्षों तक अच्छे खानदान ने राज किया( सरपंच )रहे गांव की पूरे भारत में पहचान थी ।उस खानदान में 4 लोग सरपंच रहे पहले सरपंच जो लोगों के आज भी दिल में है उनकी सेवा, कर्म, धर्म ,सब कुछ आज भी लोगों को याद है उनका निधन सन् 2010 में हुआ। यह दिन गांव के लिए सबसे बड़ा दुखी का दिन था पूरा गांव पंचायत शहर शोक में था ,उन महानुभव पूर्व सरपंच की मूर्ति गजब गांव में हैं जहां हर वर्ष 10 अक्टूबर को उनको श्रद्धांजलि दी जाती हैं उनके शासनकाल में उनसे कोई नाराज या विरोधी नहीं था उन्होंने कभी भी जनता को शिकायत का मौका नहीं दिया ,उनके शासनकाल के बाद परिवार में ही शासन रहा जनता ने विश्वास किया फिर वही हुआ जो महाराणा प्रताप के बाद शासन ,उनके पोते पोते ने किया या चंद्र सेन के बाद जोधपुर पर, भाई उदय सिंह ने राज किया। धीरे-धीरे विकास लोगों को छोड़कर सरपंच के घर पर रहने लगा ।तत्कालीन सरपंच साहब ने ग्राम पंचायत में खौफ जमा लिया । रास्ते, मार्ग ,नाली नाले, तालाब आदि सब सिर्फ नाम मात्र के रह गए थे ,सरपंच साहब उन नाड़ियों पर करोड़ों का बजट अपनी जेब में रख देता। जहां जरा भी खड्डा नहीं वही कागजों में तालाब है, सरपंच को यहां तक कम लगा क्योंकि किसी आम आदमी में उनके खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं थी और सरपंच जी गरीब मजदूर की मजदूरी का पैसा लूटने लगे, मजदूर मजदूरी करता पैसे सरपंच के हाथ आते।आजाद भारत था पर यहां की दशा देखकर ऐसा लग नहीं रहा था
लेकिन लोग कहते हैं समय का भरोसा कोनी कद पलटी मार जाए तानाशाह को हराने की धीरे-धीरे कोशिश होने लगी पर 2020 तक कोई सफल नहीं हुआ। ग्राम पंचायत में ज्यादातर लोग अशिक्षित है लेकिन लोगों को इस तरह दिखावा करते मानो इन से बुद्धिमान कोई नहीं भोली जनता उनकी मानती भी थी ।जनता जिसको अपना विश्वास पत्र मानती थी । सरपंच साहब ने ऐसे कुछ लोगों (चौधरी) अपने तरफ कर रखे थे जिसके सामने थोड़ा विकास कर रखा था और चौधरी के बहकावे में आकर जनता वोट दे दी थी ।
कुछ युवा शिक्षित लोग तानाशाह सरपंच के खिलाफ एकजुट खड़े हुए उनके कामों की शिकायत की। तब तानाशाह को थोड़ा झटका लगा उन्होंने माफी करने के लिए कहा।सरपंच जी को अजब गांव की सरकारी स्कूल में मजाक उड़ाया है उनको बार-बार खड़ा कर करके माफी मंगवाई लोग दयावान थे और बड़े वह बुड्ढे लोगों का मान कर उनको माफ कर दिया । लेकिन ऐसे लोगों पर ऐसी बातों का क्या असर होता कुछ नहीं ग्राम पंचायत का वहीफिर हाल।
।। अगला सरपंच चुनाव 2020।। ।।मिशन 2020 ।।
कहते हैं साल 2020 कठिन व बुरा साल है लेकिन इस ग्राम पंचायत के लिए स्वर्णिम काल है! इस शब्द में ही कुछ ताकत है। 2020
इस बार जनता ने ठान रखा था। की उसके घमंड को तोड़ना, उनकी आखरी गलती उन्होंने कहा अब तो मैं क्या मेरा खड़ा खाहङा (जूता) भी जीत सकता है। इन बातों से जनता में भी आक्रोश पैदा हो गया और वह पंच वो लोग जिनके डर व बहकावे में आकर लोग वोट डाल देते थे। वह भी घमंड के साथ कहने लगे ,इधर-उधर मेरी छाया की तरह मेरे साथ चलेंगे।
चुनाव आए
विरोधी प्रतिनिधि का जनसैलाब देखकर अजब गांव को स्वर्ण नगरी बनाने के सपने आने लगे ।नए प्रतिनिधि को खड़ा किया जिसकी पूरे ग्राम पंचायत में धाक (पहचान) थी। चुनाव का प्रचार शुरू हुआ चुनाव में कुछ ऐसे किस्से भी हैं जिन्हें में लिख नहीं सकता।
इस बार चुनाव प्रचार के लिए वोट मांगने वह लोग घर में आए जिन्हें कभी वोट मांगने की की जरूरत नहीं पड़ी ,मेरे बुड्ढी औरत आई........................ मैंने तो सपनों का गांव मन में संजोए रखा था। पहली बार किसी ग्राम पंचायत चुनाव में जनता ने अपनी मर्जी से सक्रिय भाग लिया। वोट का दिन आया । फिर वही हुआ जो आप सोच रहे हो, न तानाशाही चली, न चौधरीयो की ताकत न घमंड न लालच न क्रोध न पैसों की पावर चली।
चला वही जनता का सत्य न्याय।भगवान के घर देर है अंधेर नहीं।नया सरपंच हमारे लिए भगवान का ही रूप था ,जिसके कारण ही आज मैं इतना लिख पाया । ऐसा पहली बार था जब कोई इतने बड़े अंतर से जीता होजनता खुश हैं यह मेरा पहला चुनाव है जिसमें मैंने इतना भाग लिया पहली बार किसी से हाथ मिलाया साथ खाना खाया, सबसे बड़ी बात यह कि पहली बार किसी के चुनाव में जीतने पर इतना खुश हो होकर उन्हें बधाई दी। उनके नारे लगाए
*अब होगा अपने सपनों का ग्राम*