लेखक: विक्टर द्रागून्स्की अनुवाद: आ. चारुमति रामदास लेखक: विक्टर द्रागून्स्की अनुवाद: आ. चारुमति रामदास
पर जब मैं इस गांव में आया, गांव के सभी लोग मुझे ही घूरे जा रहे थे। पर जब मैं इस गांव में आया, गांव के सभी लोग मुझे ही घूरे जा रहे थे।
एक जुझारू लड़का जो अपने ताउजी का दिल चीर देनेवाला उपहास झेलने के बाद भी कैसे अपने, पराए से घर को राख ... एक जुझारू लड़का जो अपने ताउजी का दिल चीर देनेवाला उपहास झेलने के बाद भी कैसे अपने...