Arunima Thakur

Children Stories Inspirational

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Arunima Thakur

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अच्छाई एंव बुराई, एक लोक कथा

अच्छाई एंव बुराई, एक लोक कथा

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अच्छाई और बुराई नाम की देवियाँ स्वर्गलोक में टहल रही थी। उन्होंने देखा देवताओं के रहने के लिए आलीशान महल है। वे भी भगवान के पास जाकर प्रार्थना करके बोली, "प्रभु हमें भी अपने लिए महल बनाने हैं"। 

प्रभु मुस्कुराकर बोले, "जहाँ आप दोनों का मन करे बना लो"। 

देवियों ने पूछा, "प्रभु हम महल बनाने के लिए ईटें कहाँ से लाएंगे" ? 

भगवान ने एक ओर इशारा किया, वहाँ बहुत सारी सोने चाँदी सी चमकती ईटे और थोड़ी सादी साधारण ईटे थी। भगवान बोले, "मृत्यु लोक में इंसान जब भी सच या झूठ बोलता है तो वो ईटो के रूप में वहाँ इकट्ठा होता रहता है। ये सोने चाँदी सी चमकने वाली ईटे झूठ बोलने से बनी है । ये सादी ईटे सच बोलने से बनी है। तुम्हें जो अच्छी लगे ले लो । 

बुराई ने देखा कि झूठ की ईटे बहुत तेजी से इकठ्ठी हो रही थी, वो चमक भी रही थी। उसने सोचा कि इन ईटों से मेरा आलीशान महल बहुत जल्दी बन जायेंगा। सच की ईटों से समय भी लगेगा और महल भी बहुत साधारण ही बन पायेगा। यह सोच-विचार कर बुराई ने झूठ की ईटे भगवान से माँग ली।

 अच्छाई से भगवान ने कहाँ कि तुम भी झूठ की ईटों से अपना महल बनाना प्रारम्भ करोI अच्छाई ने मना कर दिया और सच की ईटों से अपना महल बनाने का निर्णय लिया। बुराई का आलीशान महल बहुत जल्दी बन कर तैयार हो गया। वो उसमें रहने लगी। अच्छाई का महल बन ही नहीं पा रहा था क्योंकि सच बहुत कम लोग बोलते हैं। 

बुराई ने कई बार अच्छाई को झूठ की ईटों का प्रयोग करने की सलाह दी । पर अच्छाई धीरज के साथ सच की ईटों का इंतजार करती रही। पता नहीं क्यों पर समय के साथ-साथ सच की ईटो की चमक बढ़ती जा रही थी। वही झूठ की ईटों की चमक दिन - प्रतिदिन कम होती जा रही थी ၊

अचानक एक दिन उस आलीशान महल से झूठ की दो-तीन ईटें गायब हो गयी। कुछ दिन बाद कुछ और ईटें गायब हो गयी। महल गिरना प्रारम्भ हो गया। बुराई घबरा गई उसे गुस्सा भी आया उसे लगा अच्छाई उसके महल की ईटें चुरा रहीं हैं। वह भगवान से जाकर बोली, "मेरे महल की ईटें अपनेआप गायब होती जा रही है। मेरा महल खंडहर बनता जा रहा हैं"।

भगवान बोले, "झूठ चाहें कितना भी सुंदर क्यों न हो, उसकी चकाचौंध सच को थोड़ी देर के लिए छुपा सकती है। झूठ की उम्र कभी भी लम्बी नहीं होती है। सच एक न एक दिन सामने जरूर आता है। इसलिए झूठ पकड़े जाने पर ईटों की चमक फीकी पड़ गयी और ईटे गायब हो गयी"।

अच्छाई ने पूछा,"फिर हम क्या करें ? सच कोई बोलता नही इसलिए मेरा महल बन नही पा रहा है। झूठ पकड़ में आ जाता है इसलिए इसका महल खंडहर हो गया। हम रहे तो कहाँ रहे? 

भगवान अच्छाई से बोले , "तुम मनुष्यों के दिलों में जाकर रहों । उनको सच बोलने के लिए प्रेरित करों। जिससे तुम्हारा महल बन सकें"। 

फिर बुराई से बोलें, तुमने सोनेचाँदी के लालच में पड़ कर झूठ का सहारा लेना ठीक समझा। इसलिए तुम जा कर ऐसे ही झूठे लालची लोगों के साथ रहों और उन का बुरा करों। 

 सीख - जब हम झूठ बोलते हैं तो पहले भले ही ऐसा लगे की फायदा हो रहा है। पर बाद में नुकसान ही होता है। और जब सच बोलते हैं तो हमारा सब कुछ अच्छा होता है।


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