आपबीती
आपबीती
एक बड़े शहर में मनोज सेठ का नाम समाज सेवक के रूप में जाना जाता था.
मनोज सेठ का बहुत बड़ा कारोबार था और जवानी का जोश था...
शादी को एक ही साल हुआ था और पत्नी मायके गई थी बच्चे को जन्म देने के लिए..
बड़े से बंगले में वो अकेले थे..
उस वक्त उनकी ही जाती की अधेड़ विधवा गीता बहन अपनी बीस साल की बेटी सरला को लेकर मनोज भाई से मदद मांगने आई की आपके यहां उसे नौकरी पर रख लो तो बहुत अहसान होगा..
मनोज भाई ने सरला को ऊपर से नीचे तक देखा और बोला आज से ही काम पर रखता हूँ मैं ओफिस जाते समय ले जाऊंगा..
मैं तैयार होकर आता हूं..
गीता बहन हाथ जोड़कर सरला को छोड़कर चली गयी ..
यह मौका पाकर उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया और सरला पर झपट पड़ा उसकी चीखें चार दीवारी में दब गई..
सरला और गीता बहन ने पुलिस फरियाद की पर मनोज भाई के रुपए की खनक से सरला की भावनाओं दब गई...
और न्याय नहीं मिला..
बीस साल बाद मनोज भाई की लड़की पूजा का किसी ने बलात्कार कर दिया ये देख मनोज भाई को दिल का दौरा पड़ा और मन ही मन बोले *जाके पांव न जाय बिवाई वो क्या जाने पीर पराई*
आज मुझ पर बीती तब दर्द समझ में आया...