आह्वान
आह्वान
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
1 min
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
2.7K
तीक्ष्ण और तीव्रता से फैलते बदबू से कमरा भर गया। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। पूजा अभी शुरू ही हुई थी। अनहोनी की आशंका से सबके दिलों की धड़कन बढ़ चुकी थी।
"भाग्यवान ! हुआ क्या? किचन से कुछ जला क्या?"
"कैसी बातें करते हो भला, ये गटर जैसी बू भला कौन सी चीज़ जलती वैसे?"
"पंडित जी! आपने कुछ जलाया क्या धूप बत्ती?"
"नहीं यजमान! धूप-बत्ती से तो खुशबु आएगी ना, और पूजा शुरू ही कहाँ हुई, अभी तो हमने सिर्फ कलश में सभी नदियों का आह्वान किया है।"