रास्ता देख रहे हैं अधीर नयन अब आ भी जाओ ना।
सचमुच आज मौसी का जन्मदिवस हुआ था। और वह उल्टे पाँव लौट गई। सभी मृतक भोज में व्यस्त थे।
चोर और कोई नहीं बल्कि प्रतिभा की छोटी बहन थी।
गृह प्रवेश का सारा जिम्मा उन्होंने मुझ पर सौंप दिया था
मेरा जवाब भी नहीं पढ़ा और वादा खिलाफी भी कर दी
गुर्दे की बीमारी ऐसी बीमारी है कि जिसे लग जाये वही भोगता है। लाख रुपया-पैसा लगा दो समय बढ़ सकता है लेकिन मौत को रोका नही...