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हर मोड़...
हर मोड़ पर इक ...
हर मोड़ पर...
“
हर मोड़ पर इक ख्वाहिस मिलती है यहां
जनाब इस इश्क के बाजार का हाल ऐसा है
सपने हजारों सजाकर महबूब निकला था
लाखों गम समेटकर आज घर आया है।।
अप्रिय"""
”
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